वर्त्तमान स्थितियों का यह मानना है कि अच्छे नेता पैदा नहीं होते हैं
बल्कि बनाए जाते हैं। वे निश्चित रुप से केवल इसलिए नेता होने के पात्र
नहीं बन जाते कि उन्होंने किसी परिवार विशेष में जन्म लिया है। लोकतंत्र
में, सभी व्यक्ति समान अधिकारों के साथ नेतृत्व प्रदान करने हेतु पैदा होते
हैं बशर्ते कि उनमें नेतृत्व की जिम्मेदारी उठाने के गुण व योग्यता हो तथा
जनता का समर्थन हासिल हो। परिवार विशेष द्वारा नेतृत्व की अवधारणा जिसे हम
दुर्भाग्यवश, अपने देश में कुछ राजनीतिक पार्टियों में देख रहे हैं,
लोकतांत्रिक आदर्श और आधुनिक काल की भावना, दोनों के लिए गंभीर रुप से घातक
है।
यदि अच्छे नेता बनाए जाते हैं और पैदा नहीं होते तो इसका अभिप्राय यह है कि अच्छे नेताओं में राजनीति अथवा समाज के दूसरे क्षेत्रों के मूलभूत गुण होने आवश्यक हैं। केवल ऐसे कुछ लोग जिन्होंने जीवन के हर पहलू का अनुभव किया हो, अपने व्यवसायों की कठिनाइयों और धक्कम-धक्का को सहा हो; बड़े धैर्य के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना किया हो; महत्वपूर्ण मोड़ों पर जीवन को निर्धारित करने वाले निर्णय लिए हों, साथ ही, नागरिकों की दु:ख-तकलीफों को महसूस किया हो; जरुरत पड़ने पर बलिदान दिए हों, अपने चुने क्षेत्रों की समस्याओं का अच्छा अध्ययन किया हो, और संगठनों के समक्ष आई चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबले करने हेतु अपनी क्षमता और योग्यता का प्रदर्शन किया हो; किसी बड़े लक्ष्य के प्रति स्वयं उपयोगी बनना सीखा हो, दूसरे लोगों को न केवल उनके शब्दों में बल्कि उनके आचरण सहित प्रेरित करने की योग्यता विकसित की हो, और अपने मुख्य सिद्धांतों और धारणाओं के प्रति ईमानदार रहा हो ऐसे लोग ही समाज में सच्चे नेताओं के रुप में उभरते हैं।
यदि अच्छे नेता बनाए जाते हैं और पैदा नहीं होते तो इसका अभिप्राय यह है कि अच्छे नेताओं में राजनीति अथवा समाज के दूसरे क्षेत्रों के मूलभूत गुण होने आवश्यक हैं। केवल ऐसे कुछ लोग जिन्होंने जीवन के हर पहलू का अनुभव किया हो, अपने व्यवसायों की कठिनाइयों और धक्कम-धक्का को सहा हो; बड़े धैर्य के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना किया हो; महत्वपूर्ण मोड़ों पर जीवन को निर्धारित करने वाले निर्णय लिए हों, साथ ही, नागरिकों की दु:ख-तकलीफों को महसूस किया हो; जरुरत पड़ने पर बलिदान दिए हों, अपने चुने क्षेत्रों की समस्याओं का अच्छा अध्ययन किया हो, और संगठनों के समक्ष आई चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबले करने हेतु अपनी क्षमता और योग्यता का प्रदर्शन किया हो; किसी बड़े लक्ष्य के प्रति स्वयं उपयोगी बनना सीखा हो, दूसरे लोगों को न केवल उनके शब्दों में बल्कि उनके आचरण सहित प्रेरित करने की योग्यता विकसित की हो, और अपने मुख्य सिद्धांतों और धारणाओं के प्रति ईमानदार रहा हो ऐसे लोग ही समाज में सच्चे नेताओं के रुप में उभरते हैं।