मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया|जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफIPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी|जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि"कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री.रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि के दावे का मामला दाखिल किया जा सकता है|
इस तरह अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पत्नी, ससुर और साले के खिलाफ IPC Act 500, 501, 504, 120(B), 34 आदि धारा के तहत आरोपी बनाने का आदेश प्राप्त करते हुये आरोपी के खिलाफ दिनांक17.01.2015 को सम्मन जारी करवाये|
न्यायालय ने आरोपी पत्नी तथा ससुर को मुंबई अदालत में21stफरवरी 2015 को हाज़िर होने का आदेश दिया है|
अधिकांशतः IPC Act 498A का लालची व भ्रष्ट प्रवृत्ति की महिलायें दुरूपयोग करके पुरूषों को परेशान करने का काम करती हैं ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता श्री. आशिक अली मर्चेंट द्वारा भी कहा गया और अँड श्री. नीलेश ओझा जी भी जल्द ही एक पुस्तक लिखकर प्रकाशित करनेवाले हैं जिसका नाम होगा "How to prosecute Foxy Women & Cheater Girlfriends" इस पुस्तक में लालची व दुष्ट प्रवृत्ति की ऐसी महिलाओं "जो युवकों को प्रेम-जाल में फँसाकर, धोखा देने, शीलभंग या बलात्कार जैसे झूठे आरोपों में फँसाकर ब्लैकमेल करने का कार्य करती हैं", उनके खिलाफ किस प्रकार कार्यवाही की जाये बताया जायेगा| इस पुस्तक की सह-लेखिका अँड शांति तेली हैं|
साथ ही अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने यह भी कहा कि "हमारी संस्था यह नहीं देखती कि कौन सही है बल्कि यह देखती है, कि क्या सही है?"उन्होंने यह समझाते हुये यह भी कहा, कि "अगर किसी स्त्री पर अत्याचार या अन्याय हुआ है उसे भी न्याय दिलाया जायेगा और हमने ऐसी स्त्रियों को न्याय दिलाया भी है जिसे हम अगली बार प्रकाशित करेंगे"|
अभी हाल में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बदलते हुये समय के अनुसार कई फैसले पुरूषों के हित में दिये हैं|
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया|जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफIPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी|जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि"कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री.रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि के दावे का मामला दाखिल किया जा सकता है|
इस तरह अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पत्नी, ससुर और साले के खिलाफ IPC Act 500, 501, 504, 120(B), 34 आदि धारा के तहत आरोपी बनाने का आदेश प्राप्त करते हुये आरोपी के खिलाफ दिनांक17.01.2015 को सम्मन जारी करवाये|
न्यायालय ने आरोपी पत्नी तथा ससुर को मुंबई अदालत में21stफरवरी 2015 को हाज़िर होने का आदेश दिया है|
अधिकांशतः IPC Act 498A का लालची व भ्रष्ट प्रवृत्ति की महिलायें दुरूपयोग करके पुरूषों को परेशान करने का काम करती हैं ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता श्री. आशिक अली मर्चेंट द्वारा भी कहा गया और अँड श्री. नीलेश ओझा जी भी जल्द ही एक पुस्तक लिखकर प्रकाशित करनेवाले हैं जिसका नाम होगा "How to prosecute Foxy Women & Cheater Girlfriends" इस पुस्तक में लालची व दुष्ट प्रवृत्ति की ऐसी महिलाओं "जो युवकों को प्रेम-जाल में फँसाकर, धोखा देने, शीलभंग या बलात्कार जैसे झूठे आरोपों में फँसाकर ब्लैकमेल करने का कार्य करती हैं", उनके खिलाफ किस प्रकार कार्यवाही की जाये बताया जायेगा| इस पुस्तक की सह-लेखिका अँड शांति तेली हैं|
साथ ही अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने यह भी कहा कि "हमारी संस्था यह नहीं देखती कि कौन सही है बल्कि यह देखती है, कि क्या सही है?"उन्होंने यह समझाते हुये यह भी कहा, कि "अगर किसी स्त्री पर अत्याचार या अन्याय हुआ है उसे भी न्याय दिलाया जायेगा और हमने ऐसी स्त्रियों को न्याय दिलाया भी है जिसे हम अगली बार प्रकाशित करेंगे"|
अभी हाल में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बदलते हुये समय के अनुसार कई फैसले पुरूषों के हित में दिये हैं|