इजरायल से भारत में आएगी 'कम्पयूटर काउ', जानिए इसकी खासियत
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इजरायल से भारत में आएगी 'कम्पयूटर काउ', जानिए इसकी खासियत

Image result for israel computer cow     इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों भारत दौरे पर हैं। नेतन्याहू का यह दौरा भारत के लिए कई मायनों में अहम है। नेतन्याहू भारत को इजरायल की तकनीक से मजबूत करने के साथ साथ कृषी के तौर पर भी सक्षम बनाने के लिए प्रतिबध है।
    बेंजामिन नेतन्याहू अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘कंप्यूटर काउ’ को भारत में लॉन्च करने वाले हैं, जिससे भारत को दूध उत्पादन में मदद मिलेगी। इजरायल से भारत आने वाली यह गाय एक आम गायों की तरह है, लेकिन इस गाय को पूरी तरह से कंप्यूटर की निगरानी में तैयार किया गया है।
   इस गाय की खास बात यह है कि इसके खाने-पीने से लेकर, रहने सहने तक सबकुछ एक सॉफ्टवेयर के जरिए हैंडल किया जाएगा।
हरियाणा में शुरू होगा 'कंप्यूटर काउ’ मिल्क प्रोडक्शन'
    पिछले साल जुलाई में इजरायल की यात्रा पर गए पीएम मोदी को बेंजामिन नेतन्याहू ने यह गाय दिखाई थी। उस वक्त मोदी ने इस गाय में काफी रुचि दिखाई थी। खबर के मुताबिक इस गाय की देखभाल और देश में मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाया जा सके, इसके लिए महीने के आखिर में हरियाणा के हिसार जिले में सरकार द्वारा सेंटर फॉर एक्सीलेंस में ‘कंप्यूटर काउ’ मिल्क प्रोडक्शन की शुरुआत की जा रही है।
     खबर के मुताबिक इस सेंटर को डेवलप करने के लिए वर्ष 2015 में इजरायली इंटरनेशनल डवलपमेंट कॉरपोरेशन एजेंसी मैशाव और हरियाणा सरकार ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
दूसरी आम गायों से 5 गुना अधिक दूध देगी कंप्यूटर COW
     खबर के मुताबिक हर साल भारतीय गाय प्रतिदिन 7.1 किलो, ब्रिटिश गाय 25.6 किलो, अमेरिकी गाय 32.8 किलो, इजरायली गाय 70 किलो दूध देती है. बाकि देशों के मुकाबले इजरायली गाय ज्यादा दूध देने में सक्षम है जिसका श्रेय कंप्यूटर काउ को ही जाता है।
इजरायल गाय की खासियत
     गाय के दूध से पानी को पूरी तरह से सुखाने के बाद जो पाउडर बचता है, उसे सॉलिड्स मिल्क कहते हैं। खबर के मुताबिक हर साल न्यूजीलैंड 373 किलो, इजरायल 1100 किलो और भारत 220 किलो सॉलिड्स मिल्क का उत्पादन करता है।
    हरियाणा के हिसार जिले के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में 'कंप्यूटर काउ' के निर्माण में कई बातों का ध्यान रखा गया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ‘होल्सटीन जर्मप्लाज्म’ नस्ल को फ्रोजन सीमेन के तौर पर इजरायल से लाया गया है। इसके बाद भारतीय दलों द्वारा गायों के चुनिंदा समूहों को चुना गया ताकि भविष्य में भी भारत को इसका फायदा हो सके।

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