बूचड़खानों को लेकर योगी सरकार को हाईकोर्ट ने दिया आखिरी मौका
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बूचड़खानों को लेकर योगी सरकार को हाईकोर्ट ने दिया आखिरी मौका

      इलाहाबाद।। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने योगी सरकार को प्रदेश में बूचड़खाने स्थापित करने में आ रही कानूनी अड़चनें दूर करने का 30 जनवरी 18 तक अंतिम मौका देते हुए कहा है कि सरकार अध्यादेश जारी कर पशु वध की व्यवस्था करे। अन्यथा कोर्ट याचिकाओं की सुनवाई कर आदेश पारित करेगा। बता दें कि गोरखपुर के दिलशाद अहमद व कई अन्य जिलों से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ कर रही है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है। लखनऊ खण्डपीठ के 12 मई 17 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 7 जुलाई 17 को स्थानीय निकायों द्वारा सरकारी निगरानी में माडर्न पशु वधशाला आबादी से बाहर स्थापित करने का शासनादेश जारी किया है। बूचड़खाने स्थानीय निकायों द्वारा स्थापित होंगे। इस आदेश को याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गयी है।
    गोरखपुर के दिलशाद अहमद व कई अन्य जिलों से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ कर रही है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है। लखनऊ खण्डपीठ के 12 मई 17 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 7 जुलाई 17 को स्थानीय निकायों द्वारा सरकारी निगरानी में माडर्न पशु वधशाला आबादी से बाहर स्थापित करने का शासनादेश जारी किया है। बूचड़खाने स्थानीय निकायों द्वारा स्थापित होंगे। इस आदेश को याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गयी है।
    कोर्ट ने प्रदेश में वैध बूचड़खाने बंद करने व पशु वध की व्यवस्था न करने के सरकारी फैसले को अवैध पशु वध को बढ़ावा देने वाला करार दिया। सरकार ने अवैध के साथ वैध बूचड़खाने भी बंद कर दिये हैं और माडर्न बूचड़खाने स्थापित नहीं किये गये हैं। जबकि केन्द्र व राज्य सरकार ने इस मद में करोड़ों रूपये स्वीकष्त किये। कोर्ट ने पूछा कि सरकार द्वारा भेजे गये धन का क्या किया गया।
     आपको याद दिला दें कि लगभग आठ माह पूर्व कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह जानना चाहा था कि बूचड़खानों को चलाने के संबंध में उसकी नीति क्या है. राज्यभर में बड़ी संख्या में बूचड़खाने वैध लाइसेंसों के अभाव में बंद करा दिए गए हैं. दरअसल मुख्य न्यायधीश डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने झांसी निवासी यूनिस खान द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया था . खान ने मीट की दुकान खोलने के लिए नगर निगम द्वारा लाइसेंस जारी नहीं किए जाने की शिकायत के साथ इस अदालत का रुख किया था. इसी क्रम में याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि झांसी में कोई लाइसेंसशुदा बूचड़खाना नहीं है, इसलिए उसने एक दुकान खोलने के उद्देश्य से लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जहां वह पशुओं को काटकर उनका मांस बेच सके. याचिकाकर्ता ने कहा कि लाइसेंस जारी करने में नगर निगम के विफल रहने की वजह से उसके पास इस अदालत से हस्तक्षेप की मांग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.

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