सोहराबुद्दीन अनवर हुसैन शेख़ की 26 नवंबर 2005 की 'फ़र्ज़ी' मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के एक चश्मदीद गवाह तुलसीराम प्रजापति भी दिसंबर 2006 में एक 'मुठभेड़' में मारे गए. सोहराबुद्दीन की पत्नी क़ौसर बी की भी हत्या कर दी गई थी.
इन हत्याओं के आरोप गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह पर लगे. इन्हीं मामलों में बाद में उनकी गिरफ़्तारी भी हुई. फिर सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जाँच चलती रही. अदालत के आदेश पर अमित शाह को राज्य-बदर कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से बाहर करने, सुनवाई के दौरान जज का तबादला न करने जैसे कई निर्देश दिए.
सीबीआई के विशेष जज जे टी उत्पत ने अमित शाह को मई 2014 में समन किया. शाह ने सुनवाई में हाज़िर होने से छूट मांगी लेकिन जज उत्पत ने इसकी इजाजत नहीं दी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 26 जून 2014 को उनका तबादला कर दिया गया.
इसके बाद ये मामला जज लोया को सौंप दिया गया, मामले में अमित शाह जज लोया
की अदालत में भी पेश नहीं हुए. एक दिसंबर 2014 को लोया की मौत नागपुर में
संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. जज लोया की जगह नियुक्त जज एमबी
गोसावी ने जाँच एजेंसी के आरोपों को नामंज़ूर करते हुए अमित शाह को दिसंबर
2014 में आरोपमुक्त कर दिया था.