अमेरिका में फाइनेंशियल क्राइसिस खड़ा हो गया है, जिससे उसके 'दिवालिया' होने तक की स्थिति पैदा हो गई है। हालात ये हो गए हैं कि अगर अमेरिका में एक फाइनेंशियल बिल दोनों सदनों में पास नहीं हुआ, तो 'शटडाउन' की नौबत आ जाएगी। शटडाउन होने से कई सरकारी विभाग बंद करना पड़ेंगे और लाखों सरकारी कर्मचारियों को बगैर सैलरी के ही छुट्टी पर भेज दिया जाएगा। अगर अमेरिका में सरकार शटडाउन होती है, तो इससे वहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। बता दें कि आखिरी बार अक्टूबर 2013 में इस तरह के हालात हुए थे, उस वक्त बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे।
अगर अमेरिका में इस बार भी 'शटडाउन' की नौबत आती है, तो इसका सीधा-सीधा असर 8 लाख 50 हजार सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि अगर अमेरिका में जल्द से जल्द फेडरल बजट दोनों सदन में पास नहीं हुआ, तो कई सरकारी ऑफिस बंद हो जाएंगे और करीब 8 लाख 50 हजार कर्मचारियों को बिना सैलरी के ही घर पर बैठना पड़ेगा। अक्टूबर 2013 में जब सरकार शटडाउन हुई थी, तो इसका असल 8 लाख कर्मचारियों पर हुआ था।
दरअसल, अमेरिका में 'एंटीडेफिशिएंसी एक्ट' लागू है। इस एक्ट के तहत, पैसे की कमी होने पर फेडरल एजेंसियां (संघीय एजेंसी) को अपना कामकाज रोकना पड़ता है। बजट न होने के कारण कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है और उन्हें सैलरी भी नहीं दी जाती। ऐसे हालात में सरकार एक फेडरल बजट लाती है, जिसे प्रतिनिधि सभा और सीनेट यानी दोनों सदनों में पास होना जरूरी होता है।
ये कोई पहली बार नहीं है, जब अमेरिका में इस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं। इससे पहले भी कई बार अमेरिका में सरकार शटडाउन की स्थिति में आ चुकी है। सबसे पहली बार अमेरिकी सरकार में 1981 में ऐसे हालात पैदा हुए थे और इसके बाद 1984, 1990 और 1995-1996 में भी ऐसा हो चुका है। आखिरी बार सरकारी शटडाउन अक्टूबर 2013 में हुआ था, जो 2 हफ्तों तक चला था। उस दौरान 8 लाख सरकारी कर्मचारियों पर इसका असर पड़ा था। उस वक्त बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे।
अभी की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ये संकट टालने की भरपूर कोशिश कर रही है। आर्थिक मंजूरी देने वाला ये फाइनेंशियल बिल प्रतिनिधि सभा में तो पास हो गया है, लेकिन सीनेट में इसका पास होना बाकी है। अगर ये बजट बिल सीनेट में पास नहीं हुआ तो बजट की कमी के कारण देश में सरकारी कामकाज ठप हो जाएगा। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास स्थानीय समय अनुसार शुक्रवार मिडनाइट तक का समय है। अगर ये बिल सीनेट में पास नहीं हुआ तो शटडाउन को टाला नहीं जा सकेगा। अभी अमेरिका में 35 लाख कर्मचारी है और शटडाउन होने पर 8 लाख 50 हजार कर्मचारी पहले ही दिन से घर पर बैठ जाएंगे। हालांकि इसका असर डिफेंस सेक्टर पर नहीं होगा और जहां-जहां अमेरिकी सेना तैनात है, उन्हें नहीं हटाया जाएगा।
अगर अमेरिका में इस बार भी 'शटडाउन' की नौबत आती है, तो इसका सीधा-सीधा असर 8 लाख 50 हजार सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि अगर अमेरिका में जल्द से जल्द फेडरल बजट दोनों सदन में पास नहीं हुआ, तो कई सरकारी ऑफिस बंद हो जाएंगे और करीब 8 लाख 50 हजार कर्मचारियों को बिना सैलरी के ही घर पर बैठना पड़ेगा। अक्टूबर 2013 में जब सरकार शटडाउन हुई थी, तो इसका असल 8 लाख कर्मचारियों पर हुआ था।
दरअसल, अमेरिका में 'एंटीडेफिशिएंसी एक्ट' लागू है। इस एक्ट के तहत, पैसे की कमी होने पर फेडरल एजेंसियां (संघीय एजेंसी) को अपना कामकाज रोकना पड़ता है। बजट न होने के कारण कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है और उन्हें सैलरी भी नहीं दी जाती। ऐसे हालात में सरकार एक फेडरल बजट लाती है, जिसे प्रतिनिधि सभा और सीनेट यानी दोनों सदनों में पास होना जरूरी होता है।
ये कोई पहली बार नहीं है, जब अमेरिका में इस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं। इससे पहले भी कई बार अमेरिका में सरकार शटडाउन की स्थिति में आ चुकी है। सबसे पहली बार अमेरिकी सरकार में 1981 में ऐसे हालात पैदा हुए थे और इसके बाद 1984, 1990 और 1995-1996 में भी ऐसा हो चुका है। आखिरी बार सरकारी शटडाउन अक्टूबर 2013 में हुआ था, जो 2 हफ्तों तक चला था। उस दौरान 8 लाख सरकारी कर्मचारियों पर इसका असर पड़ा था। उस वक्त बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे।
अभी की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ये संकट टालने की भरपूर कोशिश कर रही है। आर्थिक मंजूरी देने वाला ये फाइनेंशियल बिल प्रतिनिधि सभा में तो पास हो गया है, लेकिन सीनेट में इसका पास होना बाकी है। अगर ये बजट बिल सीनेट में पास नहीं हुआ तो बजट की कमी के कारण देश में सरकारी कामकाज ठप हो जाएगा। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास स्थानीय समय अनुसार शुक्रवार मिडनाइट तक का समय है। अगर ये बिल सीनेट में पास नहीं हुआ तो शटडाउन को टाला नहीं जा सकेगा। अभी अमेरिका में 35 लाख कर्मचारी है और शटडाउन होने पर 8 लाख 50 हजार कर्मचारी पहले ही दिन से घर पर बैठ जाएंगे। हालांकि इसका असर डिफेंस सेक्टर पर नहीं होगा और जहां-जहां अमेरिकी सेना तैनात है, उन्हें नहीं हटाया जाएगा।