नई दिल्ली।। केंद्र सरकार ऐसे कानून संसोधन लेकर आ रही है, जिसके अंतर्गत प्राइवेट कंपनियों में घूसखोरी को रोका जा सकेगा। केन्द्र सरकार संसोधन के तहत विदेशी अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अधिकारियों को घूस देने का प्रयास अपराध माना जाएगा। इसके साथ ही सरकार विधायिका के स्तर पर भी ऐसे बदलाव लाना चाहती है, जिसके कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएसी) के नियमों पर भारत पूरी तरह खड़ा उतरे। प्राइवेट सेक्टर में भी घूस लेने को अपराध करार दिए जाने के लिए गृह मंत्रालय भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन पर विचार कर रहा है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए मंत्रालय ने सभी राज्यों को प्रस्तावित संशोधित विधेयक का एक ड्राप:ट भेजा है और उनसे राय मांगी है।
प्रस्तावित संशोधन में विधायिका के स्तर पर लंबित
पड़े मसलों को भी तवज्जो दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया
में पब्लिश एक आर्टिकल के जवाब में गृह मंत्रालय की ओर से कहा कि हम
यूएनसीएसी के नियमों से अलग नहीं जा रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में घूस देना
सामान्य आपराधिक कानून का हिस्सा है और मंत्रालय आईपीसी में संशोधन करने
पर विचार कर रहा है। यूएनसीएसी के अनुच्छेद 16 पर खड़ा उतरने के मामले पर
मंत्रालय ने कहा कि इस अनुच्छेद को ध्यान में रखते हुए सरकार ने संसद में
विदेशी सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक अंतरराष्ट्रीय संगठन के अधिकारियों
को रिश्वत की रोकथाम बिल, पेश किया था। सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय
अधिकारी ने कहा कि 15वीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही उपरोक्त बिल की समय
सीमा खत्म हो गई है, लेकिन विदेशियों से रिश्वत के लेन-देने पर लगाम लगाने
और इसे अपराध की श्रेणी में डालने के लिए केंद्र सरकार एक नए बिल को पेश करने
पर विचार कर रही है।