आगरा के स्थानीय कोर्ट में चल रहे तेजोमहालय बनाम ताजमहल के मामले में
भारत सरकार और केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है.
इसमें कहा गया है कि ताजमहल मंदिर नहीं, बल्कि मुगल शाहजहां द्वारा अपनी
बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया गया मकबरा है. यह भी कहा कि सुप्रीम
कोर्ट का आदेश है कि ताजमहल के संबंध में किसी भी मामले की सुनवाई स्थानीय
कोर्ट में नहीं की जा सकती है.
बता दें कि इस मामले में 8अप्रैल 2015 में लखनऊ के गोमती नगर निवासी अधिवक्ता हरीशंकर जैन और उनके पांच साथियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका दावा है कि यह इमारत ताजमहल नहीं, बल्कि शिव मंदिर है, जिसका नाम है तेजोमहालय. इसमें केंद्र सरकार और केंद्रीय पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया है. दोनों की ओर से पैरोकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया.
बता दें कि इस मामले में 8अप्रैल 2015 में लखनऊ के गोमती नगर निवासी अधिवक्ता हरीशंकर जैन और उनके पांच साथियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका दावा है कि यह इमारत ताजमहल नहीं, बल्कि शिव मंदिर है, जिसका नाम है तेजोमहालय. इसमें केंद्र सरकार और केंद्रीय पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया है. दोनों की ओर से पैरोकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया.
वहीं याचिका दाखिल होने के बाद सालों से केंद्रीय पुरातत्व विभाग को जबाव
का इंतजार था जो आखिरकार आ गया है. कोर्ट ने इसमें केंद्र सरकार और
केंद्रीय पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया है. अब इस मामले में वादी
हरीशंकर जैन की ओर से अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने आपत्ति दर्ज कराई.
उन्होंने जवाब को अपूर्ण बताया है. इस मामले में पीठासीन न्यायाधीश अभिषेक
सिन्हा ने उनके जवाब के लिए तारीख 11 सितंबर तय की है.