पिछले 20 वर्षों से मंदिर में कैद 'भगवान' श्रीराम ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपने उपासक अमर वर्मा के माध्यम से अपने आपको कैद से मुक्त कराने याचिका दायर की. यह हम नहीं कह रहे कि श्रीराम ने याचिका दायर की है, यह कहना है उनके अधिवक्ता अखंड प्रताप पाण्डे का. अधिवक्ता अखंड प्रताप पाण्डे का तर्क है कि जैसे किसी बच्चे की तरफ से कोई और भी याचिका दायर करता है क्योंकि वह अपनी तकलीफ को स्वयं बता नहीं सकता, उसी तरह श्रीराम की मूर्ति है.
इस याचिका पर हाईकोर्ट में आज बैस परिवार की ओर से जवाब पेश किया गया है. उनके जवाब के बदले अतिरिक्त कथन पेश करने याचिकाकर्ता 'भगवान' राम के अधिवक्ता अखण्ड प्रताप पांडे ने कोर्ट से 4 सप्ताह का समय मांगा है.
दरअसल राजधानी रायपुर के चंद्रखुरी में सोमवंशी राजाओं ने भले ही चंदखुरी गांव को माता कौशल्या की जन्मभूमि मानी हो, लेकिन यहां 'भगवान' राम उपेक्षा के शिकार रहे. श्रीराम अपनी ननिहाल में एक मंदिर में कैद हैं. 20 साल से मंदिर में ताला जड़ा है. विस्तृत भू-भाग पर वर्चस्व की वजह से ऐसा हुआ है. गांव के सरपंच के घर से लगे हिस्से में इस प्राचीनतम मंदिर में रामनवमी के अवसर पर मंदिर के बाहर से ही पूजा होती है.
बताया जाता है कि लगभग 100 साल पहले गांव में एक मालगुजार ने भगवान राम के मंदिर की स्थापना कराई थी. उसी ने कुछ एकड़ जमीन दान में दी थी. मालगुजार के अचानक गांव छोड़ जाने के बाद इस जमीन पर वर्चस्व को लेकर विवाद बढ़ गया.
आखिर में जमीन पर अपना-अपना दावा ठोक रहे कुछ रसूखदार परिवारों, जिनमें सांसद रमेश बैस के परिवार ने मंदिर का कपाट ही बंद करवा दिया. यहां करीब 20 साल पहले ताला जड़ दिया गया. इसके बाद से मुख्यद्वार कभी नहीं खुला. कोशिश भी हुई, लेकिन मामला सुलझने के बजाय उलझ गया. अंततः श्री राम के उपासक अमर वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है. जिसमें सुनवाई चल रही है. अब इस मामले में 4 सप्ताह के बाद फिर से सुनवाई होगी.
इस याचिका पर हाईकोर्ट में आज बैस परिवार की ओर से जवाब पेश किया गया है. उनके जवाब के बदले अतिरिक्त कथन पेश करने याचिकाकर्ता 'भगवान' राम के अधिवक्ता अखण्ड प्रताप पांडे ने कोर्ट से 4 सप्ताह का समय मांगा है.
दरअसल राजधानी रायपुर के चंद्रखुरी में सोमवंशी राजाओं ने भले ही चंदखुरी गांव को माता कौशल्या की जन्मभूमि मानी हो, लेकिन यहां 'भगवान' राम उपेक्षा के शिकार रहे. श्रीराम अपनी ननिहाल में एक मंदिर में कैद हैं. 20 साल से मंदिर में ताला जड़ा है. विस्तृत भू-भाग पर वर्चस्व की वजह से ऐसा हुआ है. गांव के सरपंच के घर से लगे हिस्से में इस प्राचीनतम मंदिर में रामनवमी के अवसर पर मंदिर के बाहर से ही पूजा होती है.
बताया जाता है कि लगभग 100 साल पहले गांव में एक मालगुजार ने भगवान राम के मंदिर की स्थापना कराई थी. उसी ने कुछ एकड़ जमीन दान में दी थी. मालगुजार के अचानक गांव छोड़ जाने के बाद इस जमीन पर वर्चस्व को लेकर विवाद बढ़ गया.
आखिर में जमीन पर अपना-अपना दावा ठोक रहे कुछ रसूखदार परिवारों, जिनमें सांसद रमेश बैस के परिवार ने मंदिर का कपाट ही बंद करवा दिया. यहां करीब 20 साल पहले ताला जड़ दिया गया. इसके बाद से मुख्यद्वार कभी नहीं खुला. कोशिश भी हुई, लेकिन मामला सुलझने के बजाय उलझ गया. अंततः श्री राम के उपासक अमर वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है. जिसमें सुनवाई चल रही है. अब इस मामले में 4 सप्ताह के बाद फिर से सुनवाई होगी.