उत्तर प्रदेश के उन्नाव में शहीद जवान विजय कुमार का शव मंगलवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा. जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद का शव पहुंचे पर गांव वालों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए विरोध दर्ज करवाया. वहीं बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने भी शहीद विजय को श्रद्धांजलि दी. आपको बता दें की रविवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों की फायरिंग में शहीद हो गए थे. इस मौके पर यूपी विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित और उन्नाव के प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री, सदर विधायक पंकज गुप्ता, डीएम देवेन्द्र पाण्डेय सहित एसपी हरीश कुमार ने शहीद को श्रद्धांजलि दी.
बीघापुर थाना क्षेत्र के रावतपुर गांव में विजय कुमार नाम का जवान एसएसबी 42 बटालियन बहराइच में तैनात था. बताया जा रहा है कि जवान जम्मू कश्मीर के पुलवामा में चुनाव ड्यूटी के लिए पूरी बटालियन गई थी. शहीद विजय की पत्नी का कहना है की शाम 7 बजे विजय कुमार से बात हुई थी, जिसके बाद वो अपनी ड्यूटी के लिए चले गए. विजय की पत्नी का कहना है की रात में कमांडेंट का फ़ोन आया. उन्होंने बताया की विजय कुमार को गोली लगने से वो शहीद हो गए हैं. बताया जा रहा है कि जिस समय ये पूरा वाक्या हुआ था वो उस समय वह पहरा दे रहा था.
शहीद विजय कुमार ने अकेले आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो गए हालांकि विजय कुमार ने अपनी जान देकर पूरी बटालियन को बचाया है. विजय कुमार की डेढ़ साल पहले शादी हुई थी और अगस्त में वह आखिरी बार घर आया था और शहीद विजय की पत्नी गर्भवती थी और जल्द ही दीवाली के समय वह घर आने वाला था. लेकिन होने को कुछ और ही मंजूर था? पिता बनने से पहले ही विजय शहीद हो गए. वहीं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद विजय के परिवार में गम तो है लेकिन उनके माता-पिता को गर्व भी है.
बीघापुर थाना क्षेत्र के रावतपुर गांव में विजय कुमार नाम का जवान एसएसबी 42 बटालियन बहराइच में तैनात था. बताया जा रहा है कि जवान जम्मू कश्मीर के पुलवामा में चुनाव ड्यूटी के लिए पूरी बटालियन गई थी. शहीद विजय की पत्नी का कहना है की शाम 7 बजे विजय कुमार से बात हुई थी, जिसके बाद वो अपनी ड्यूटी के लिए चले गए. विजय की पत्नी का कहना है की रात में कमांडेंट का फ़ोन आया. उन्होंने बताया की विजय कुमार को गोली लगने से वो शहीद हो गए हैं. बताया जा रहा है कि जिस समय ये पूरा वाक्या हुआ था वो उस समय वह पहरा दे रहा था.
शहीद विजय कुमार ने अकेले आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो गए हालांकि विजय कुमार ने अपनी जान देकर पूरी बटालियन को बचाया है. विजय कुमार की डेढ़ साल पहले शादी हुई थी और अगस्त में वह आखिरी बार घर आया था और शहीद विजय की पत्नी गर्भवती थी और जल्द ही दीवाली के समय वह घर आने वाला था. लेकिन होने को कुछ और ही मंजूर था? पिता बनने से पहले ही विजय शहीद हो गए. वहीं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद विजय के परिवार में गम तो है लेकिन उनके माता-पिता को गर्व भी है.