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अगर पुरुषों के साथ हो रेप तो जाने क्या है कानूनी हक ?

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    भारत समेत दुनियाभर में महिलाओं की तरह पुरुष भी रेप का शिकार होते हैं लेकिन भारत में पुरुषों के साथ रेप को लेकर कानूनी मान्यता नहीं है, जिसके चलते ऐसे मामले उजागर नहीं हो पाते हैं, हालांकि अमेरिका समेत दुनिया के दूसरे देशों में पुरुषों के साथ रेप के काफी मामले सामने आते हैं। विदेश में पुरुषों के साथ रेप होने पर कानून हैं, जिनके तहत आरोपी को सजा देने का प्रावधान भी किया गया है। 
     सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा और एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि भारत में महिला के साथ होने वाले रेप को ही रेप माना जाता है। पुरुषों के साथ रेप को लेकर कोई कानून नहीं हैं। हालांकि अनेचुरल सेक्स को लेकर कानूनी प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत आरोपी को 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। 
    क्राइम मामलों के जानकार एडवोकेट मार्कण्डेय पंत का भी यही कहना है कि पुरुष के साथ रेप को लेकर कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, हालांकि अगर कोई महिला शादी का झांसा देकर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध बनाती है, तो पुरुष को धोखाधड़ी का केस करने का अधिकार है। 
    इससे पहले सेक्सुल क्राइम को जेंडर न्यूट्रल बनाने की मांग भी कई बार उठ चुकी है। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और सांसद जीपीएस तुलसी ने सेक्सुल क्राइम को जेंडर न्यूट्रल बनाने के लिए राज्यसभा में एक प्राइवेट बिल भी पेश किया था। साथ ही दलील दी थी कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं, पुरुष और ट्रांसजेंडर भी रेप के शिकार होते हैं। लिहाजा इस संबंध में कानून बनाने की जरूरत है। 
    एडवोकेट मार्कण्डेय पंत ने बताया कि भारत में महिलाओं के साथ रेप को लेकर कानून बेहद कड़े हैं। भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 375 में महिला के साथ रेप को ही अपराध बनाया गया है। अगर कोई पुरुष किसी महिला का रेप करता है, तो उसको आईपीसी की धारा 376 के तहत 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है साथ ही रेप के दोषी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 
    उन्होंने यह भी बताया कि इसी तरह 12 साल से कम उम्र की लड़की से रेप के दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है। 12 साल से कम उम्र की लड़की के रेप के दोषी पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है। एडवोकेट मार्कण्डेय पंत ने बताया कि आईपीसी के तहत जुर्माना की राशि को पीड़िता के इलाज और पुनर्वास के लिए खर्च करने की भी व्यवस्था की गई है। महिला द्वारा पुरुष का रेप किए जाने का एक मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। एक व्यक्ति ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि क्या अगर कोई महिला शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाती है और फिर शादी से मुकर जाती है, तो क्या यह बलात्कार और धोखा माना जाएगा?
   याचिकाकर्ता नागराजु ने कर्नाटक हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि उसने साल 2016 में एक महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 506 के साथ ही एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) (X) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसको कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि महिला एक मंदिर के पुजारी की बेटी है, जिससे उसकी दोस्ती हो गई थी। इसके बाद महिला ने उसको प्रेम प्रस्ताव दिया साथ ही लड़की ने शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए। जब महिला को मैसूर में नौकरी मिल गई, तो वह धीरे-धीरे दूरी बनाने लगी और शादी से इनकार कर दिया। 

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