नई दिल्ली।। Facebook और WhatsApp को आधार से लिंक करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. तमिलनाडू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दायर कर कहा है कि मामला मद्रास हाईकोर्ट में चलने दिया जाए. मद्रास हाईकोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफ़र के लिए फेसबुक (Facebook) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इन याचिकाओं में फ़ेसबुक और वाट्सएप्प सोशल नेटवर्किंग साइट को आधार से लिंक करने की माँग की गई है ताकि सोशल साइट पर आपतिजनक पोस्ट करने वालों की तुरंत पहचान हो सके, जिससे उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जा सके.
पिछली सुनवाई में 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, Google, ट्विटर और YouTube को नोटिस जारी कर हाईकोर्ट में लंबित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए उनका जवाब माँगा, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या सोशल नेटवर्किंग साइटस को अपराधियों से संबंधित जानकारी पुलिस के साथ साझा करने के लिए बाध्य किया जा सके.
मद्रास हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार किया. सुनवाई में तमिलनाडु राज्य के लिए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने आतंकवाद और पोर्नोग्राफी सहित अपराध के मुद्दों का हवाला दिया. फेसबुक (Facebook) और वाट्सएप्प ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि क्या उन्हें आपराधिक जांच में मदद करने के लिए जांच एजेंसियों को डेटा और जानकारी साझा करने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ पारित किसी भी आदेश का वैश्विक असर होगा, इसलिए शीर्ष अदालत को इस तरह के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला करना चाहिए और विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित सभी मामलों को सुप्रीम मे हस्तांतरित किया जाना चाहिए.
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एक IIT प्रोफेसर का कहना है कि ओरीजीनेटर की पहचान कैसे की जा सकती है.उन्होंने ब्लू व्हेल गेम का भी हवाला दिया. ओरीजीनेटर का पता लगाना बहुत मुश्किल था. भारत सरकार आज तक संघर्ष कर रही है इसको लेकर, उन्होंने कहा की फेसबुक (Facebook) खुद मानते हैं कि उनके पास ओरीजीनेटर का पता लगाने के लिए कोई तंत्र नहीं है.