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मैदान होने पर ही स्कूलों को दी जाए मान्यता और ग्रांट - हाई कोर्ट

  प्रयागराज/इलाहाबाद।। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्कूल भवन मानक का कड़ाई से पालन को लेकर कहा कि जिन स्कूलों के पास खेल मैदान नहीं है, उन्हें मान्यता व ग्रांट न दी जाए। हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को मान्यता व ग्रांट संबंधी नियमावली पांच माह में बनाए जाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जीएस कांवेंट स्कूल व अन्य की याचिकाओं पर दिया है। न्यायालय ने कहा कि मान्यता व ग्रांट के नियम सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देशों और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बनाए जाए।
     नियमावली में पौधरोपण स्थान भी हो:इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रकरण में विशेषज्ञों की राय लेकर मान्यता व ग्रांट देने के नियम में स्कूल भवन के मानक व अन्य मूलभूत सुविधाओं, स्कूलों में खेल मैदान के उचित आकार, पौधे लगाने का स्थान आदि को शामिल किया जाए। साथ ही स्कूलों के निरीक्षण की प्रक्रिया भी नए सिरे से निर्धारित की जाए। नियम बनने के बाद ही मान्यता व ग्रांट के प्रार्थना पत्रों पर विचार किया जाए। उन स्कूलों की मान्यता पर भी विचार करने को कहा है, जिनकी मान्यता पूर्व में किसी कारण रद की गई थी।
   ‘साक्षर प्रदेश सशक्त देश’ नामक वेबसाइट बनाने का दिया सुझाव:इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आरटीई एक्ट 2009 के कड़ाई से पालन के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों की कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही ‘साक्षर प्रदेश सशक्त देश’ की प्रदेश व जिला स्तर पर वेबसाइट बनाने का सुझाव भी दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि स्कूलों के मानक तय करने में बच्चों के बस्ते का भार कम करने और उनके सुगम आवागमन व्यवस्था पर जारी शासनादेशों को राज्य सरकार के निर्देशों में शामिल किया जाए।

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