उसे देखकर घर के लोग ही हक्का बक्का रह गए।दरअसल कुछ दिन पहले एक शख्स की पीटकर हत्या हो गई थी।
नई दिल्ली।। अगर कोई मर चुका शख्स अचानक आपके सामने आ जाए तो सिट्टीपिट्टी गुम हो ही जाएगी चाहे वह कितना भी सगा क्यों न हो। ऐसा ही एक मुर्दा के जिंदा होने का यह किस्सा अगस्त 2015 को शुरू हुआ। रात में कुछ लोगों की नजर अचानक इलाके में घूम रहे कुछ चोरों पर पड़ी। लोग फौरन घरों से निकले और चोरों की घेराबंदी शुरू कर दी। बाकी तो भाग गए पर एक भीड़ के हत्थे चढ़ गया। भीड़ ने पीट पीटकर उसे मार डाला।
सुबह हुई, पुलिस पहुंची। खून से सनी लाश करीब 30 साल के युवक की थी। पहचान के लिए आसपास पता लगवाया। कुछ ही घंटे बाद लाश की पहचान घर वालों ने कर ली। लेकिन घर वालों ने कहा कि वह तो ट्रक ड्राइवर था। फिर भी कपड़े, हुलिया, मुंह में एक दांत टूटा हुआ, और हाथ की एक उंगली कटी हुई। यानी उम्र एक, कपड़े एक, और तो और जिस्म में मौजूद निशान भी एक। लाश को पहचानने में शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। लिहाजा, घरवालों के शिनाख्त कर लेने के बाद पुलिस ने कानूनी औपचारिकताओं के बाद लाश उनके हवाले कर दीया। बाप और भाई पहले ही अस्पताल में लाश को पहचान चुके थे। घर पहुंचने पर बीवी भी अपने पति की लाश देख कर खूब रोई। मां का बुरा हाल। घर में कोहराम। पूरे मोहल्ले में मातम छा गया। तंगहाली में घरवालों ने करीब 20 हजार रुपये का जैसे-तैसे इंतजाम कर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया। तेरहवीं कर दी। लेकिन बादली में हल्ला पड़ गया, जब मौत के 28 वें रोज वह अपने घर वापस आ गया।
पति को आंखों के सामने देख कर बीवी गश खाकर गिर गई। पापा को जिंदा देख बच्चे दूर भागने लगे। आखिर ऐसा क्या था कि उसे देख हर कोई दूर भाग रहा था। पहेली ऐसी कि कौन सुलझाए। वह जिधर से गुजरता, कमजोर दिलवाले घरों में दुबक जाते। औरतें बेहोश हो जातीं। अब सवाल था कि आखिर वो इतने दिनों कहां रहा। अगर वह असली है, तो फिर जिसकी मौत हुई, वह कौन था। पुलिस ने पूछताछ की। बताया कि वह ट्रक चलाता था। इस वाकये के कुछ रोज पहले ही पास ही संजय गांधी ट्रांसपॉर्ट नगर से माल समेत ट्रक ले कर डिलिवरी के लिए निकल गया था। इसके बाद वह असम भी गया। बिहार भी और झारखंड भी। और इस तरह कई राज्यों और बहुत से शहरों से होता हुआ वह फिर से दिल्ली लौट आया।
उसने अपने जिंदा होने के तमाम सबूतों की दलीलें दीं। दावा था कि वो शराब पीने की अपनी आदत को लेकर घरवालों से हुए झगड़े से नाराज था। इसी वजह से उसकी अपने घरवालों से अक्सर अनबन हुआ करती थी। वह ट्रक लेकर अपने काम पर गया, तो उसने इतने दिनों तक एक बार भी घरवालों को फोन करके संपर्क नहीं किया। लेकिन यह सवाल आज भी बाकी है कि जिसका अंतिम संस्कार हुआ, वह कौन था।