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कलयुग का श्रवण कुमार माता-पिता को कंधों पर उठाकर ले गया चित्रकूट धाम

त्रेता युग के श्रवण कुमार को चरितार्थ करता कलयुग का श्रवण कुमार
    कौशांबी/उत्तरप्रदेश।। त्रेता युग के श्रवण कुमार की याद दिलाता हुआ कलयुग का श्रवण कुमार सूबेदार अपने माता पिता को कंधों पर ले जाकर चित्रकूट दर्शन के लिए गांव वालों ने विदा किया है। 
    प्राचीन काल में वत्स देश की राजधानी कौशांबी, एक ऐतिहासिक जिला जिसका वर्णन इतिहास में अमिट छाप छोड़ता है। भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान आध्यात्मिक गुरुओं के उपदेशों से सिंचित भूमि कौशांबी, तुलसी के पावन रामचरितमानस के शब्दों से गूंजती धरती कौशांबी। जहां पर समय-समय पर अनेक ऐसे पुरोधा उत्पन्न हुए जिन्होंने अपने धर्म-कर्म से संसार का मार्गदर्शन किया, और जिनको युगों के चक्र में भी भुलाया नहीं जा सकेगा। 
   वर्तमान उदाहरण एक ऐसे नवयुवक का है जिसकी समानता त्रेता युग के श्रवण कुमार से करना अतिशयोक्ति ना होगी। श्रवण कुमार एक पौराणिक चरित्र, जिसकी उल्लेखनीयता उसकी अपने माता पिता के भक्ति के कारण थी। वैसे ही कौशांबी के सिराथू तहसील के गांव हटवा के सूबेदार नामक युवक का है जिसने अपने पिता भीमसेन राजपूत और माता रामकली राजपूत को अपने कंधों पर उठाकर चित्रकूट धाम के लिए दर्शन कराने का संकल्प लिया।  और तारीख- 1/10/2019 को गांव से चित्रकूट के लिए प्रस्थान किया। गांव वालों ने अति हर्षोल्लास से कलयुग के श्रवण कुमार की विदाई की। और उसे शुभ आशीष दिया। यह सबक है ऐसे बच्चों के लिए जो अपने माता पिता को वृध्दाश्रम मे छोड आते है। कौशाम्बी की यह घटना एक अप्रतिम मिसाल है। जिससे लोग आने वाले समय मे प्रेरणा लेकर समाज मे उच्च आदर्शों का निर्माण करेंगे।

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