मंदी की मार: नहीं मिल रही हैं नौकरियां, देश हो गया बर्बाद
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मंदी की मार: नहीं मिल रही हैं नौकरियां, देश हो गया बर्बाद

सेवा क्षेत्र में आई बड़ी गिरावट
   नई दिल्ली।। देश की सेवा क्षेत्र की गतिविधियां सितंबर महीने में डेढ़ साल में सबसे सुस्त रही हैं। कमजोर मांग, प्रतिस्पर्धा का दबाव और चुनौतीपूर्ण बाजार परिस्थितियों के कारण सितंबर में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में गिरावट रही और पीएमआई 50 से नीचे आ गया, जो फरवरी 2018 के बाद से सबसे निचला स्तर है। 
   फरवरी 2018 के बाद पहली बार पीएमआई 50 अंक से नीचे आया, 48.7 अंक रहा सितंबर में सेवा क्षेत्र का पीएमआई स्तर, निजी क्षेत्र की कंपनियों की गतिविधियां थम गईं
    आईएसएच मार्किट इंडिया के मासिक सर्वेक्षण में सामने आया है कि सितंबर में मांग सुस्त होने के कारण पीएमआई सूचकांक गिरकर 48.7 अंक पर आ गया। इससे पिछले महीने अगस्त में पीएमआई 52.4 अंक था। यह सर्वेक्षण सेवा क्षेत्र की कंपनियों के बीच किया जाता है।
   पीएमआई 50 से नीचे रहने गतिविधियों में गिरावट को दर्शाता है, जबकि 50 से ऊपर होना तेजी को दर्शाता है। सर्वेक्षण के अनुसार सितंबर में सेवा क्षेत्र को कमजोर मांग हालातों, कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते अनुचित कीमतों और अर्थव्यवस्था संबंधी चिंताओं का सामना करना पड़ा।
   निजी क्षेत्र की कंपनियों की गतिविधियां थम सी गईं, जो पिछले करीब डेढ़ साल से लगातार बढ़ रही थीं। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का एकीकृत पीएमआई सूचकांक भी सितंबर में घटकर 49.8 अंक पर आ गया जो अगस्त में 52.6 पर था।
    आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री पॉलियाना डि लीमा ने कहा है कि देश के निजी क्षेत्र का उत्पादन फरवरी 2018 के बाद पहली बार संकुचित हुआ है। यह बिक्री में कमी को दिखाता है, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी है।
    डी लीमा के मुताबिक, सितंबर में बाजार धारणा गिरकर 31 महीने के निचले स्तर पर आ गई जो चिंता का विषय है। इस दौरान माल उत्पादकों और सेवा प्रादाताओं की मांग में सुस्ती के कारण बाजार का सकल आत्मविश्वास गिरकर 31 महीने के निचले स्तर पर चला गया है।
   पीएमआई सर्वे में सितंबर में भी महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है और उत्पादों के दाम बढ़ने की औसत गति मंद होकर ढाई साल के निचले स्तर पर आ गई है। सेवा क्षेत्र के कारोबारियों का मानना है कि महंगाई में राहत की वजह से आरबीआई इस साल आगे भी मूल ब्याज दर में कटौती करेगा।

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