"हर साल की तरह, मेरी पत्नी प्रियंका शर्मा को मोमबत्ती जलाने और दिवाली पर अपनी रंगोली बनाने से रोका गया है। असामाजिक तत्व जो सोसायटी में रहते हैं, रेहान पेटीवाला, सलीम और मुस्तफा ने लाइट्स तोड़ दीं। हर साल वे ऐसा करते हैं और यहाँ तक कि हमारे भगवान और देवी-देवताओं का भी मजाक उड़ाते हैं।"
एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म उद्योग से जुड़े मुंबई के मलाड पश्चिम के रहने वाले विश्व भानू ने फेसबुक पर अपने मुस्लिम पड़ोसियों की असहिष्णुता के बारे में लिखा। अपनी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि दिवाली के मौक़े पर सोसायटी के लोग (मुस्लिम) उन्हें और उनकी पत्नी को घर में दीये जलाकर रोशनी करने और रंगोली बनाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। भानू ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उनकी सोसायटी के लोगों ने न सिर्फ उनके घर की लाइट्स को नष्ट किया बल्कि बाक़ी लगी लाइट्स को हटाने के लिए मजबूर भी किया।
विश्व भानु द्वारा दर्ज कराई गई थी शिक़ायत
इस मामले में मालवानी पुलिस स्टेशन में एक शिक़ायत दर्ज की गई है।
भानु ने बताया कि वह मलाड पश्चिम की सोसायटी में रहते हैं, जो मालवानी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। जिस सोसायटी में वो रहते हैं वो मुस्लिम बहुल इलाका है वहाँ सिर्फ़ उसी का एकमात्र हिन्दू परिवार रहता है।
मुस्लिमों के अत्याचार का यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब भानु की पत्नी दिवाली के त्योहार पर घर सजाने के लिए नई लाइट्स ख़रीद कर लाईं। लेकिन जैसे ही उन्होंने घर सजाने के लिए लाइट्स लगाईं, वैसे ही इलाक़े के मुसलमान उसी जगह पर आ गए और जलती हुई इलेक्ट्रिक लाइट्स हटा दीं। भानु की पत्नी ने दावा किया कि जिस समय लाइट्स हटाई गईं उस समय वहाँ आसपास कुछ बच्चे भी खेल रहे थे, उन्हें करंट लग सकता था।
मुस्लिम भीड़ लाइट्स को हटाने के लिए आगे बढ़ी और तारों को खोल दिया। ऐसा करते समय लोगों को करंट भी लग सकता था। इस दौरान महिलाओं और बच्चों ने भी भानु के परिवार को प्रताड़ित किया, उन्हें तरह-तरह के ताने और अभद्र अपशब्द भी कहे। आक्रामक हुई भीड़ ने दावा किया कि हिन्दू हर चीज में मूत्र मिलाते हैं और उनके स्थान पर भोजन नहीं करना चाहिए। हिन्दू दंपत्ति को इस मामलों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें मजबूर किया गया कि वो अपने घर से लाइट्स को हटाएँ।
अपनी शिक़ायत में, विश्व भानु ने लिखा:
“हर साल की तरह, मेरी पत्नी प्रियंका शर्मा को मोमबत्ती जलाने और दिवाली पर अपनी रंगोली बनाने से रोका गया है। असामाजिक तत्व जो सोसायटी में रहते हैं, जहाँ रेहान पेटीवाला, सलीम और मुस्तफा ने लाइट्स तोड़ दीं। हर साल वे ऐसा करते हैं और यहाँ तक कि हमारे भगवान और देवी-देवताओं का भी मजाक उड़ाते हैं। बकरा ईद पर, वे हमें अपना दरवाज़ा खुला रखने के लिए मजबूर करते हैं और वे हमारे घर के सामने बकरियों का वध करते हैं जबकि वो यह काम कहीं और भी जाकर कर सकते हैं। लेकिन, मैंने कभी कुछ नहीं कहा क्योंकि यह उनका त्योहार है। क्योंकि हम हिन्दू हैं, हमारा मज़ाक उड़ाया जाता है, दबाव डाला जाता है और ऐसी स्थिति बनाई जाती है कि हम जल्द ही इस क्षेत्र को छोड़ दें। छोटी-छोटी बातों के लिए, वे हमसे लड़ने आते हैं। मैं ज़्यादातर शूटिंग के लिए घर से बाहर रहता हूँ, लेकिन मैं अपनी पत्नी को लेकर काफ़ी चिंतित हूँ।”
इसी तरह की घटना का सामना उन्होंने पिछले साल भी किया था। उन्होंने एक रंगोली बनाई थी और उसे आस-पड़ोस के लोगों ने अपने पैरों से ख़राब कर दिया था। भानु ने बताया कि सिर्फ़ दिवाली ही नहीं बल्कि होली के दौरान भी वे त्योहार को ठीक से नहीं मना सकते। यही हाल दशहरा और शिवरात्रि का भी है। भानु ने ऑपइंडिया को बताया कि वे हमेशा ईद जैसे त्योहारों के दौरान अपने पड़ोसियों के साथ समझौता करते हैं, लेकिन वो हिन्दू त्योहारों के दौरान कभी अच्छा व्यवहार नहीं करते।
भानू ने बताया कि पुलिस आई तो जरूर थी लेकिन पूरे घटनाक्रम को उन्होंने अपनी ओर से झूठलाने की कोशिश की। फोन पर बात करते समय भानू पुलिस स्टेशन में ही थे लेकिन आश्चर्यजनक बात यह रही कि वहाँ भी घटनाक्रम से संबंधित आरोपित पड़ोसी आकर उन्हें धमकी दे रहा था कि वो भविष्य में उनका अहित करेगा।
पुलिस स्टेशन में भानू, आरोपित और बिल्डिंग का सेक्रटरी मौजूद था। बिल्डिंग के सेक्रटरी ने भी घटना को दबाने की कोशिश की। उसका कहना था कि यह दो पड़ोसियों में बहस के कारण हुआ। सेक्रटरी ने बताया कि आरोपित का कहना था कि दिवाली में लगने वाले लाइट से इलेक्ट्रिक शॉक लगने के डर के कारण उसे लगाने से मना किया गया था। भानू ने बताया कि बिल्डिंग सेक्रटरी भला इंसान है और वह सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए मामले को शांत करना चाह रहा था। भानू ने यह भी बताया कि उस पर फेसबुक पोस्ट डिलीट करने का भी दबाव बनाया जा रहा है। फोन के आखिरी में भानू ने आशंका जाहिर की कि वो शायद डर के कारण फेसबुक पोस्ट डिलीट भी कर देगा और वह व्यक्तिगत मजबूरी में उस बिल्डिंग में रहने को मजबूर है।
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