आज साईं की रसोई ने आज सफलतापूर्वक 500 दिन पूरे कर लिए साईं की रसोई में महज 5 रुपए में प्रतिदिन 300 लोगों को भरपेट भोजन परोसा जाता है।
इसके लिए किसी भी तरह के सरकारी और गैर सरकारी मदद नहीं मिलती. बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में यह रसोई लाचार बेसहारा आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं बहन अमृता सिंह और पल्लवी सिन्हा के कठिन परिश्रम बंटी जी के सार्थक सहयोग के बल पर यह रसोई आज 500 दिनों के सफर पर पहुंच चुका है व्यस्तता के बावजूद मैं साईं की रसोई में शामिल हुआ था।
कई बार काफी नजदीक से इनके क्रियाकलाप को देखने का मौका मिला. शुरुआत के दिनों में हंसाई की रसोई पटना के भूतनाथ रोड साईं मंदिर के पास लगती थी बाद में इसकी अहमियत को देखते हुए इसे पटना के पीएमसीएच अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया तब से यहां यहां अनवरत चल रही है निस्वार्थ भावना से प्रतिदिन चाहे बारिश हो या तूफान आए साईं की रसोई रूकती नहीं और ना ही इस को संचालित करने वाली अमृता सिंह और पल्लवी जी थकती है. शहर के जागरूक लोग अपने जन्मदिन वैवाहिक वर्षगांठ अपने माता पिता की पुण्य स्मृति में किसी न किसी दिन साईं की रसोई का खर्च भी उठा लिया करते हैं इसके लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया जाता 5 रुपए इस लिए लोगो से लिए जाते हैं की किसी को यह न लगे उसे भीख में भोजन दिया जा रहा है. साईं की रसोई की सबसे बड़ी खासियत है यहां भोजन की क्वालिटी यहां जो भी भोजन लोगों को परोसा जाता है वह स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ पौष्टिक भी होता है. अभावों में अविरल रहते हुए शहर की सोई संवेदनाओं को जगाती अमृता सिंह और पल्लवी सिंह की सार्थक सोच को सलाम।