भोपाल/इंदौर।। नागरिकता संशोधन कानून की आंच अब खुद भारतीय जनता पार्टी को भी अंदरूनी तौर पर महसूस हो रही है। गुरुवार को इंदौर क्षेत्र में इसे लेकर हलचल रही जहां पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर अपना विरोध जताया और सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया। ये सभी नेता-कार्यकर्ता मुस्लिम समुदाय से आते हैं।
इनकी अगुवई महू के रहने वाले और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के करीबी बताए जाने वाले एक नेता राजिक फर्शीवाला कर रहे हैं। फर्शीवाला वैसे तो कोई बड़ा नाम नहीं हैं लेकिन पिछले तीन-चार साल में वे विजयवर्गीय के काफी करीब आ चुके हैं। राजिक फिल्मी दुनिया के लोगों से भी संबंध रखते हैं और उनका दावा है कि उनकी राय पर पार्टी में शामिल होने वाले अर्जुन रामपाल और रिमी सेन जैसे कुछ और सितारे भी आने वाले समय में अपनी सदस्यता छोड़ेंगे। इन सितारों ने पार्टी के बड़े नेताओं के सामने राजिक की मौजूदगी में ही पार्टी की सदस्यता ली थी।
इंदौर में गुरुवार 23 जनवरी को राजिक के साथ कई और कार्यकर्ताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ये इस्तीफा उस समय दिया गया जब इंदौर में राज्य के कुछ बड़े नेता मौजूद थे। राजिक का दावा है कि उनके साथ इंदौर, महू, धार, खरगोन और देवास जिलों के करीब 70-80 कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है। इन कार्यकर्ताओं का विरोध नागरिकता संशोधन कानून को लेकर है।
उनके मुताबिक भाजपा शीर्ष नेतृत्व एनआरसी के बारे में बयान दे चुका है और उन्हें डर है कि असम की तरह सारे देश में इससे बर्बादी होगी। ऐसे में वे पार्टी के इस विचार के खिलाफ अंदरूनी तौर पर पहले भी अपने विचार रख चुके हैं और अब वे इस मुद्दे पर पार्टी छोड़ना चाहते हैं। पिछले महीने ही इन कार्यकर्ताओं ने सीएए के विरोध में प्रदर्शन की भी अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें प्रशासन ने इंकार कर दिया था।
न कार्यकर्ताओं के द्वारा पार्टी छोड़ने के इस फैसले से स्थानीय इकाई कोई खास चिंता जाहिर नहीं कर रही है लेकिन सीएए के मामले में मुस्लिम कार्यकर्ताओं का यह विरोध ठीक संकेत नहीं है। इस्तीफा देने वाले राजिक फर्शीवाला कुछ साल पहले ही कांग्रेस से भाजपा में आए थे और देखते ही देखते वे कैलाश विजयवर्गीय के काफी करीबी हो गए। अमित शाह और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अक्सर तैरती नजर आतीं थी।
फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों को पार्टी नेताओं से मिलाने को लेकर भी वे चर्चाओं में रहते थे। कुछ समय पहले कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें राष्ट्रीय गौरक्षा समिति का सदस्य भी बनवाया था।