लखनऊ।। सरकार की विभिन्न योजनाओं के टेंडर दिलाने के नाम पर लोगों से 15 करोड़ की ठगी करने के आरोपित हेमंत कुमार मिश्र को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आरोपित कूट रचित दस्तावेज तैयार कर फर्जीवाड़ा करता था। मूलरूप से बलिया के थाना हल्दी डांगरबाद निवासी हेमंत यहां डी ब्लॉक आम्रपाली स्थित अवध अपार्टमेंट में रहता था। प्रतापगढ़ के लालगंज थाने में आरोपित के खिलाफ एफआइआर दर्ज थी, जिसकी पुलिस तलाश कर रही थी।
इन योजनाओं में दिया था टेंडर दिलाने का झांसा
आरोपित लोगों को राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छ पेयजल योजना, वन नेशन वन कार्ड, अटल ज्योति योजना व फास्टैग समेत सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं व फिनो पेमेंट बैंक के टेंडर दिलाने का झांसा देता था। आरोपित टेंडरों के फर्जी कागज तैयार कर बेबसाइट के माध्यम से प्रचार करता था। इसके बाद कंपनियों को झांसे में लेकर उनसे मोटी रकम हड़प लेता था।
यह हुई बरामदगी
आरोपित के पास से एक मोबाइल फोन, दो एटीएम कार्ड, पांच चेक बुक, दो लैपटाप, दो पैन कार्ड, डायरी (जिसमें करोड़ों रुपये के लेन देन का हिसाब लिखा है) एक मुहर, विभिन्न योजनाओं से संबंधित पांच बुकलेट, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छ पेयजल योजना से संबंधित 400 जल नमूना, करीब 1500 पेज का फार्म, एग्रीमेट प्रोफार्मा व कंपनियों से संबंधित कूट रचित दस्तावेज करीब 300 पेज व अन्य सामान बरामद किए गए हैं।
कंपनी ने कराई थी एफआइआर
प्रतापगढ़ के लालगंज थाने में मेसर्स इंद्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी के राज भानु प्रताप सिंह ने आरोपित के खिलाफ जालसाजी की एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छ पेयजल योजना के फर्जी कागज दिखाकर आरोपित ने सर्वे का काम देने का झांसा दिया था। आरोपित हेमंत ने सियावीजन इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई थी, जिसका वह डायरेक्टर था। हेमंत ने पीडि़त से सिक्योरिटी के नाम पर 30 लाख 50 हजार रुपये हड़प लिए थे। एसटीएफ और प्रतापगढ़ पुलिस ने साइबर हाइट्स विभूति खंड स्थित ऑफिस से हेमंत को दबोच लिया।
ऐसे रची फर्जीवाड़े की साजिश
आरोपित हेमंत ने पूछताछ में बताया कि वह वर्ष 2016 में राजधानी आया था। एक कंपनी में काम करने के बाद वर्ष 2017 में उसने सिया वीजन इंफ्रा डेवलपर्स नाम की अपनी कंपनी बनाई थी, जो साइबर हाइट्स में थी। आरोपित वेबसाइट और एजेंटों के माध्यम से प्रचार कराया कि कंपनी को विभिन्न योजनाओं के टेंडर मिले हैं। इसके बाद कई कंपनियों ने उससे संपर्क किया।
आरोपित ने पशुधन बीमा योजना के सर्वे के नाम पर प्रति जिला डेढ़ लाख रुपये और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छ पेयजल योजना के सर्वे के लिए पांच रुपये सिक्योरिटी मनी जमा कराया। महज एक साल में आरोपित के खाते में 10 करोड़ रुपये जमा हो गए। सर्वे के बाद कंपनियों को जब पेमेंट नहीं मिला तो उन्होंने अपने रुपये वापस मांगे, जिसके बाद आरोपित ऑफिस बंद कर भाग निकला था। आठ माह बाद आरोपित ने मामला शांत होने के बाद दोबारा काम शुरू किया था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया।