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एक अनोखा बैंक, जहां मैनेजर, कैशियर, ग्राहक और गार्ड सब है बच्चे ऐसे खोले जाते हैं खाते….

    लखनऊ।। प्राथमिक पाठशाला के कक्षा दो-तीन के बच्चे बच्चे बैंकिंग कामकाज की तरह लेन-देन करते दिखें। जमा-निकासी का हिसाब-किताब रखते दिखें तो अचरज न करिएगा। अब प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के बच्चे पढ़ाई से इतर बैंकिंग लेनदेन भी सीख रहे हैं। बाकायदा एक से दस हजार रुपये तक के चिल्ड्रेन नोट भी इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। 
   बच्चों की तार्किक क्षमता को समझ बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में निजी संस्था प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने इन्हीं नई तकनीक के जरिए पढ़ाई का प्रयोग कि किया है। ताकि, परिषदीय विद्यालयों के बच्चे भी निजी स्कूलों के साथ कदमताल कर सकें। सामाज की अनिवार्य आवश्यकताओं के प्रति उन्हें जानकारी मुहैया कराई जा सके। 
    संस्था की राज्य प्रमुख नुजहत मलिक बताती हैं कि बच्चों की तार्किक क्षमता का आकलन किया जाता है। पढ़ाई के साथ ही उन्हें ऐसे विषयों के प्रति भी जानकारी मुहैया कराई जा रही, जो रोजमर्रा के जीवन में भी अहम हैं। इसी कड़ी में बच्चों को यह बताया जा रहा है कि बैंक क्या हैं। वहां क्या काम होता है। कैसे होता है। नोट क्या हैं। खाता कैसे खुलवाया जाता है आदि। इसके लिए संस्था द्वारा एक रुपये से लेकर एक हजार तक के चिल्ड्रेन नोट बनवाए गए हैं, जिससे नकदी के लेन-देन में वास्तविक अनुभूति हो सके। 
बच्चे बनते हैं बैंक कर्मचारी 
    बैंकिंग व्यवस्था को बेहतर ढंग से समझाने के लिए बच्चों का ग्रुप बनाया जाता है। जहां बच्चे ही बैंक मैनेजर, कैशियर, ग्राहक व गार्ड की भूमिका निभाते हैं। उन्हें खाता खुलवाने, लेन-देन के साथ ही किसी समस्या पर बैंक प्रबंधक से शिकायत की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी जाती है। निकट भविष्य में इस प्रयोग के सार्थक बदलाव भी देखने को मिलेंगे।

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