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निर्भया हत्याकांड मे वकील एपी सिंह ने चार दरिंदगो को बचाने के लिए या सजा कम करवाने के लिए अपनी पुरी ताकत से केस लडा इसमे किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। मगर माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद तथा राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद इन दरिंदो को बचाने के लिए उन्होंने जो घिनोला खेल खेला वो पुरे देश की न्याय प्रणाली का उपहास उडानेवाला था। ये तो भला हो उन न्यायाधीशो का राष्ट्रपति का या उन तमाम न्यायिक संस्थाओं का जो इस हथकंडी एडवोकेट की मंशा को समझकर उसके द्वारा फांसी की सजा को रोकने के लिए लगायी सभी याचिकाओ का समय रहते निबटारा कर दिया वरना यदि ये फांसी की सजा आज भी रुक जाती तो इस देश के लोगो का न्याय प्रणाली से विश्वास ही उठ जाता।
निश्चित ही इस देश को एपी सिंह जैसे घिनोले और हथकंडे अपनाने वाले वकील नही चाहिए जो अपने देश की न्याय एवम कानून व्यवस्था की आलोचना करके अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक भी जा पहुंचा। हो सकता है इस केस के बाद अनेक बलात्कारी और हत्यारे अपनी पैरवी करवाने हेतु उन्हें मोटी फीस देकर उनसे अपनी पैरवी चालू करवाले मगर इस देश की जनता उन्हें कभी माफ नही करेगी। मै तो यही कहुंगा की सात साल तीन महीने आठ दिन की देर से ही सही मगर आज इन चार दरिंदगो को फांसी पर चढाने से इस देश की न्याय प्रणाली की इस देश के करोड़ों लोगो के भावनाओं की जीत हुयी है। हार तो कानून को धता बता कर सजा से बचते भागते उन चार दरिंदगो ओर उनके नासमझ वकील एपी सिंह जैसो की हुयी है।
(Adv Omendra singh Raghav)
Rajasthan highcourt Jaipur