जयपुर से 8 महीने की एक गर्भवती महिला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर के लिए चली थी. वह गुरुग्राम पहुंचकर लॉकडाउन में फंस गयी. महिला जिस टैक्सी में बैठी थी उसी टैक्सी के ड्राइवर संजय ने इंसानियत दिखाते हुए 21 दिन तक महिला और उसकी बेटी को अपने घर में रखा.
संजय गुरुग्राम में एक छोटे से कमरे में रहते हैं. कमरे में न तो पंखा है और न ही सुख-सुविधा का कोई सामान. लॉकडाउन के ठीक पहले वो एक सवारी को छोड़कर जब जयपुर से वापस लौट रहे थे तभी उन्हें एक महिला अपनी बेटी के साथ मिली जिसे यूपी के मुजफ्फरनगर अपनी बड़ी बेटी को लेने जाना था.
संजय बताते हैं कि एक बार तो वह डरे. उन्हें लगा कि महिला को देखकर उनसे सवाल पूछे जाएंगे लेकिन फिर उन्होंने परिस्थिति को समझते हुए इंसानियत दिखाई और महिला को अपने घर ले आए. संजय ने बताया कि 28 साल की महिला सुहाना सिंह और उसकी बेटी 21 दिनों तक उसके घर पर रहे, उन्हें खाना खिलाया और अस्पताल भी ले कर गए और कर्फ्यू पास बनवाने की कोशिश भी करते रहे.
संजय ने बताया कि कोई रास्ता नहीं था. "मुझे लगा कि एक दिन की बात है, निवेदन करके एक साथ रह लेते हैं, लेकिन अंदाजा नहीं था कि यह लॉकडाउन इतने लंबे दिनों तक चलेगा." वहीं सुहाना सिंह का कहना है कि ट्रैक्सी ड्राइवर संजय ने उसकी बहुत मदद की. "हम दोनों एक घर में भाई-बहन की तरह रहे. मुझे संजय की इंसानियत पर गर्व है."
जब पैसे खत्म हो गये तो टैक्सी ड्राइवर संजय ने इलाके के निगम पार्षद से मदद की गुहार लगाई. पूरी बात जानने के बाद पार्षद ने मदद का भरोसा दिलाया और टैक्सी ड्राइवर के साथ कर्फ्यू का पास बनवाया. कर्फ्यू पास बनने के बाद गुरुवार को संजय सुहाना को उनके घर जयपुर छोड़ आये.