भोपाल।। कोरोना ने पूरी दुनिया में ज़िंदगी की शैली ही बदल डाली। हर क्षेत्र में पूरी तब्दीली आई। दिलचस्प बात यह भी कि इन तब्दीलियों को स्वीकार करना ही एकमात्र रास्ता था। और कोई विकल्प ही नहीं था। इन तब्दीलियों का असर शिक्षा के क्षेत्र में भी दिखा। परीक्षा के लिए तैयार बैठे बच्चों को लगने लगा कि इस बार तो सब चौपट हो गया। बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा के इस सत्र को बचाने के लिए आकाशवाणी के स्कूल कार्यक्रम को जरिया बनाया गया। आकाशवाणी के जादू ने बच्चों पर भी असर दिखाया। शिक्षा के क्षेत्र में भी कोरोना से जंग लड़ने का यह बिलकुल ही अनूठा प्रयोग था। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने के साथ साथ पुरानी तकनीक का भी सदुप्योग किया गया। गांव के बच्चे बच्चे तक इसका जादू पहुंचा और इसे बेहद पसंद भी किया गया। हर घर तक स्कूल खुद जा पहुंचा। सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को बरकरार रखते हुए स्कूल ने बच्चों को पढ़ाई शुरू करवा दी। लोग खुश भी हुए और हैरान भी। जैसे ही आवाज़ गूंजती उनके चेहरों पर मुस्कराहट सी आ जाती।
इस तरीके को लागू करने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। कोरोना संक्रमण में शिक्षकों एवं पालकों की बच्चों की पढ़ाई की चिंता को दूर करने के लिये सीहोर जिले में लाउड स्पीकर से हर रोज़ पढ़ाई कराने की पहल की है। नसरूल्लागंज विकासखण्ड के शैक्षिक समन्वयक श्री संतोष धनवारे को जमुनिया बाजयाफ्त गाँव के शासकीय प्राथमिक स्कूल के बरामदे के एक कोने में रखे लाउड स्पीकर को देखकर यह आईडिया आया। उन्होंने तय किया कि लाउड स्पीकर से प्रत्येक बच्चे तक गत एक अप्रैल से आकाशवाणी पर शुरू किये गये 'रेडियो स्कूल'' कार्यक्रम को पहुँचाया जाये। उनका यह प्रयोग पूरी तरह सफल भी रहा। आज यह बेहद लोकप्रिय भी है।
आकाशवाणी ने एक बार फिर से अपना जादू जगाया है। गाँव के बच्चों के साथ-साथ उनके घर के बड़े बुजुर्ग और अन्य सदस्य भी यह कार्यक्रम सुनते हैं। रेडियो स्कूल कार्यक्रम को इस तरह हर घर तक निर्बाध रूप से पहुँचाने पर ग्रामीणों ने श्री संतोष धनवारे के प्रयास की सराहना की है। एक बार फिर से लोग रेडियो की तरफ तेज़ी से आकर्षित हो रहे हैं।
चकल्ली जन शिक्षा केन्द्र के गाँव जामुनिया बाजयाफ्त के इस प्रयोग को विकासखंड शैक्षिक समन्वयक संतोष धनवारे ने जन शिक्षा केन्द्र और विकासखंड के अन्य शिक्षकों से भी साझा किया है। नतीजन आज चकल्ली जन शिक्षा केन्द्र के ही ग्राम नांदियाखेड़ा डावा, आमदो, खापा और बनीगाँव सहित लगभग 20 स्कूलों में सुबह 11 बजे से 12 बजे तक शैक्षिक कार्यक्रम 'रेडियो स्कूल' का प्रसारण लाउड स्पीकर पर रोजाना गूंजता है। कहीं स्कूल के चोंगे से, तो कहीं गाँव के बीचो-बीच किसी घर की दालान में रखे साउंड-बॉक्स से बच्चे नियमित रूप से कार्यक्रम सुन रहे हैं और पढ़ रहे हैं। लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए रेडियो स्कूल कार्यक्रम से अब इन गाँवों के हर घर में हर रोज लगता है स्कूल।