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सगे बेटे ने मना किया तो तहसीलदार ने बेटा बन किया कोरोना से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार

   भोपाल।।  कोरोना ने मानवीय रिश्तों को तार-तार कर दिया है। बीमारी का खौफ ऐसा कि एक बेटे ने कोरोना से मृत पिता की देह को हाथ लगाने तक से इनकार कर दिया। पॉलिथीन में लिपटी देह से दूर ही खड़ा रहा। अफसर समझाते रहे कि जो लोग इलाज कर रहे हैं, मौत के बाद शव को मर्च्यूरी में रख रहे हैं, वे सब भी इंसान ही हैं। बावजूद इसके बेटा पिता को मुखाग्नि देने का फर्ज अदा करने को तैयार नहीं हुआ। लिखकर दे दिया कि पीपीई किट पहनते-उतारते नहीं आती है। पति को खो चुकी मां ने भी बेटे की परवाह करते हुए अफसरों से कह दिया कि आपको सब आता है, आप ही हमारे बेटे हो। हारकर बैरागढ़ तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने अंतिम संस्कार किया। परिवार 50 मीटर दूर से ही चिता से उठतीं लपटों को देखता रहा। 
    कोरोना के कारण रिश्तों में सोशल डिस्टेंसिंग की यह कहानी शुजालपुर निवासी एक व्यक्ति की है। 8 अप्रैल को उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया तो पुराने शहर के मल्टीकेयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टर्स ने उनके बेटे को पिता का कोराना टेस्ट कराने की सलाह दी। 10 अप्रैल को जांच के लिए उनके सुआब का सैम्पल लिया गया। 14 अप्रैल को रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें भोपाल के चिरायु अस्पताल में एडमिट कर दिया गया। यहां इलाज के दौरान सोमवार देर रात उनकी मौत हो गई। 
   प्रशासन ने परिजन को सूचित किया तो पत्नी, बेटा और साला गांव से यहां आ गए। अंतिम संस्कार को लेकर परिवार पसोपेश में पड़ गया। बेटे को जब पता लगा कि संक्रमण के डर से शव गांव नहीं ले जा पाएंगे तो वह घबरा गया। पॉलिथीन में लिपटी पिता की देह को हाथ लगाने को भी वह तैयार नहीं हुआ। अफसरों ने उसे समझाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। अफसरों ने कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा कर रहे डॉक्टर, नर्स और कर्मचारियों का हवाला भी दिया, फिर भी उसका डर दूर नहीं हुआ। 
    यहां तक कि लिखकर दे दिया कि मुझे किट पहनते उतारते नहीं आती है,न ही मुझे नियम पता है। इसलिए मैं कैसे उनका अंतिम संस्कार कर सकूंगा। मैं अपनी स्वैच्छा से उनका शव प्रशासन को सौंपता हूं वे ही अंतिम संस्कार करेंगे। पति को खो चुकी मां भी बिलखते हुए यही बोली कि आपको सब पता है, आप ही हमारे बेटे हो। आप ही कर दो। इसके बाद तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने मानवता के नाते यह जिम्मेदारी निभाई। रीति-रिवाजों के अनुसार वे श्मशान में ही नहाए और फिर पीपीई किट पहनकर उन्होंने अंतिम संस्कार किया।

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