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आखिर कौन है इस्लाम के गुनाहगार और इस मुल्क के दुश्मन?

alvida namaz in gonda - अलविदा की नमाज : अल्लाह ...    आज गोड्डा में कुछ जाहिलों की जमात जिसमें लगभग 50 लोग शामिल थे लॉकडाउन का उल्लंघन कर जुमा की नमाज़ पढ़ने के लिये मस्जिद पहुंच गये।जब पुलिस वालों ने उन्हें रोकना चाहा तो वे पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया।अतिरिक्त पुलिस बल मंगवा कर उन्हें मस्जिद से खदेड़ा गया। गोड्डा पुलिस कप्तान ने 5 लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी दी है।
    ऐसा कर पाना केवल और केवल भारत में ही संभव है, क्योंकि यहाँ लोकतंत्र है।लोकतंत्र आप को इस बात की अनुमति प्रदान करता है कि आप सरकार के आदेश का मख़ौल बनायें, लोकतंत्र आप को इस बात की अनुमति देता है कि जिस महामारी से अब तक विश्व भर में हजारों मौतें हो गयी हैं और लाखों पीड़ित हैं आप उसकी परवाह किये बिना आप दूसरों के ज़िंदगी को खतरे में डाल दें।
   तुम मस्जिद में किसे राज़ी करने गये थे? तुम झूठे हो अगर तुम यह दावा करते हो कि तुम अल्लाह को राज़ी करने के लिये मौत की भी परवाह नहीं करते।
    तुम मज़हब और इस्लाम के गुनहगार हो जो इस्लाम की गलत तसवीर दुनिया के सामने पेश कर रहे हो।मौत के अंधे कुएं में छलांग लगाने की इस्लाम कभी इजाज़त नहीं देता।तुम अल्लाह और उसके रसूल(स) के दीन (धर्म) के ऊपर एक बदनुमा दाग हो जो इस्लाम को जाहिलों और अंधविश्वास का धर्म साबित करना चाहते हो। तुम मुसलमान इसलिये कहलाते हो कि तुमने एक मुसलमान के घर मे जन्म लिया है। क्या तुम्हारे नबी(स) ने तुम्हें यही शिक्षा दी है ? क्या तुम्हें हदीस में वबा (महामारी) को लेकर तुम्हें नबी(स) का संदेश नज़र नहीं आता।यह तुम्हें कैसे नज़र आयेगा, क्योंकि तुम अपने नबी(स) के हुक्म (आदेश) से अधिक अपने अपने मसलक के जाहिल उलेमाओं के पैरोकार हो।अपने उलेमाओं से पूछो क्या यह नबी(स) का फ़रमान नहीं है। 
★ "संक्रामक रोगों से ग्रस्त लोगों को स्वस्थ रहने वालों से दूर रखना चाहिए।"
बुखारी (6771) और मुस्लिम (2221)
★ "उस भूमि में प्रवेश न करें जहाँ प्लेग (छूत की बीमारी) ने दम तोड़ दिया हो; जहाँ से यह टूट गया है वहाँ से न निकलें" _
बुखारी (5739) और मुस्लिम (2219)
★ पैगंबर ﷺ ने कहा: "पूरी पृथ्वी को मस्जिद बना दिया गया है, कब्रिस्तान और वाशरूम को छोड़कर।"
तिर्मिज़ी (अल-सलाहा, 291)
    तुम जिस मुल्क में रहते हो उस मुल्क के कानून का एहतेराम नहीं करना चाहते, ऐसा करोगे तो तुम्हारा ईमान खतरे में पड़ जायेगा।अरे जाहिलों तुम तो ईमान के लिये खुद एक खतरा हो जो अपने नबी(स) के दीन (धर्म) को बदनाम करना चाहता है।
    तुम्हारे घर वालों में से कोई तो होगा जो सऊदी अरब में रोज़गार के लिये गया होगा। तुम उनसे पता करो क्या उसने जुमा की नमाज़ बाजमात पढ़ी है, क्या उसने तरावीह की नमाज़ अदा की है। जब से सऊदी हुकूमत ने बैतूल हरम और मदीना में लॉकडाउन की घोषणा की है किसी मुसलमान ने भी उस हुक्म (आदेश) के खिलाफ़ जाकर किसी ने कभी अकेले भी घर से निकलने की हिमाक़त नहीं की है उसके बावजूद वहाँ कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है।तुम सऊदी अरब में रहने वाले उन रिश्तेदारों से कहो एक बार हुकूमत के खिलाफ जाकर मस्जिद में नमाज़ अदा कर देखे, उसके बाद जो होगा उसका जवाब सुनने के लिये तुम्हारा वह रिश्तेदार कई महीनों तक मुंह खोलने के काबिल नहीं रहेगा।
     तुम्हें मौत से डर नहीं लगता, तुम नमाज़ घर पर नहीं पढ़ सकते, मस्जिद में मरोगे तो तुम सीधा जन्नत में जाओगे। इस तरह की सोच रखने वाले इस्लाम के दुश्मन हैं। तुम मौत को गले लगाना चाहते हो तो बेशक लगाओ,पर दूसरों को अपनी उस सोच और उस जन्नत में जबर्दस्ती मत ले जाओ।
    तुम में से कुछ मुसलमान मीडिया कर्मियों के लिये यह टिप्पणी करते हो कि वह मुसलमानों को बदनाम कर रहे हैं, यह संघ की साज़िश है। तुम लोगों के लिये खतरा पैदा करो और मीडिया अपनी आंख पर पट्टी बांध ले क्योंकि तुम मुसलमान हो। तुम मुट्ठीभर लोगों की वजह कर आज देश भर के मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जारहा है।मीडिया को कोसने से तसवीर छुपाई नहीं जासकती। तुम मुल्क ही नहीं मज़हब के भी दुश्मन हो, और जो लोग तुम्हारे बचाव में खड़े होते हैं वह देश के दुश्मन हैं, उनसे कानून को सख्ती से निपटना चाहिये।

(शाहनवाज़ हसन)

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