लंदन।। कोरोना वायरस के खिलाफ विकसित प्रतिरोधक क्षमता महज छह महीने तक ही टिकती है। इसके बाद शरीर में एंटीबॉडी के स्तर में कमी आने से व्यक्ति के दोबारा संक्रमित होने का खतरा रहता है। एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी का हालिया अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।
शोधकर्ताओं ने लगातार 35 वर्ष तक दस पुरुषों में सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस की चार नस्लों का असर आंका। उन्होंने पाया कि सभी प्रतिभागियों में कोरोना वायरस की प्रत्येक नस्ल से लड़ने की ताकत बहुत कम अवधि के लिए पैदा हो रही थी।
छह महीने बाद उनमें कोरोना को मात देने वाले एंटीबॉडी का स्तर तेजी से घटने लगता था। 12 महीने बीतते-बीतते वे दोबारा संक्रमण की चपेट में आ जाते थे।हालांकि, अध्ययन के नतीजे कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 वायरस पर भी लागू होते हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए विस्तृत शोध की जरूरत है।