लक्ष्मी कृपा प्राप्ति के लिए श्रीयंत्र का सरल पूजन विधान है जिसकी सहायता से साधारण व्यक्ति भी विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस यंत्र को तांबे, चांदी और सोने किसी भी धातु पर बनाया जा सकता है। वैसे तो आप श्रीयंत्र की पूजा किसी दिन भी करें वो लाभकारी ही होती है परंतु शुक्रवार के दिन इसका विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि श्रीयंत्र, मां लक्ष्मी का प्रिय यंत्र है, इसीलिए इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर में विधि-विधान के साथ श्रीयंत्र की पूजा और अराधना करने से घर में सुख-संपत्ति, सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इसकी स्थापना और पूजा करने के लिए कुछ बातों को मानना बेहद जरूरी है। आइये जानें कुछ ऐसी ही बातें जिन्हें श्रीयंत्र की स्थापना करने से पहले ध्यान रखना चाहिए।
इन बातों का रखे ध्यान
श्री यंत्र को अगर घर में स्थापित कर रहे हैं तो शुभ मुहुर्त देखकर ही स्थापित कराएं, और उसकी भगवान मानकर पूजा करें। मदिरा, मांस और अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें। ऐसा करने पर श्रीयंत्र से होने वाला लाभ आपको नहीं मिलेगा। ध्यान रखें श्रीयंत्र सही बना हो, गलत श्रीयंत्र की पूजा करने से कोई लाभ नहीं होगा। एक बार श्री यंत्र को स्थापित करने के बाद रोजाना उसका जाप करना चाहिए। अगर घर में श्रीयंत्र को रखें तो उसकी पूजा जरूर करें। इसकी पूजा न करने से नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। श्रीयंत्र पूजा से पूर्व कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। इनकी पूजा में स्वच्छ्ता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस यंत्र की पूजा करने वाला ब्रह्मचर्य का पालन करे पर उसका प्रचार न करे। साफ कपड़े पहनें और सुगंधित तेल, परफ्यूम, इत्र आदि न लगाएं। साथ ही साधना करने वाले को बिना नमक का आहार लेना होता है।
पूजन ऐसे करें
धार्मिक दृष्टि से लक्ष्मी कृपा के लिए की जाने वाली श्रीयंत्र साधना संयम और नियम की दृष्टि से कठिन होती है। किंतु हम बता रहे हैं श्रीयंत्र पूजा की सरल विधि, जिसे कोई भी सामान्य भक्त अपनाकर सुख और वैभव प्राप्त कर सकता है। यह पूजा पवित्रता और नियम से करने पर धनकुबेर बना सकती है, परंतु श्रीयंत्र पूजा के में कुछ सामान्य नियमों का जरूर पालन करें।
सबसे पहले तो प्राण-प्रतिष्ठित श्रीयंत्र की ही पूजा करें। यह किसी भी मंदिर, योग्य और सिद्ध ब्राह्मण, ज्योतिष या तंत्र विशेषज्ञ से प्राप्त करें। श्रीयंत्र की पूजा लोभ के भाव से नहीं सुख और शांति के भाव से करें। इसके बाद श्रीयंत्र शुक्रवार को सुबह स्नान कर एक थाली में श्रीयंत्र स्थापित करें। इसे लाल कपड़े पर रखें। श्रीयंत्र को पंचामृत यानि दुध, दही, शहद, घी और शक्कर को मिलाकर स्नान कराने के बाद, गंगाजल से स्नान कराएं। अब यंत्र की पूजा लाल चंदन, लाल फूल, अबीर, मेंहदी, रोली, अक्षत, लाल दुपट्टा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं, और धूप, दीप, कपूर से आरती करें। श्रीयंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र, श्रीसूक्त या दुर्गा सप्तशती से देवी के किसी भी श्लोक का पाठ करें।
(मंगलमूर्ति ज्योतिष)