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कोरोना का रोना, चोरो को बदलना पड सकता है अपना धंधा !

    कोरोना से चोरो को भी बहुत नुकसान उठाना पडा है। बिना मेहनत काम किये दुसरो के घरो आफिसो दुकानों मे घूसकर ताले तोडकर माल उडा लाने वाले चोर भी आजकल मायुस दिखाई देते है। इस महामारी से पहले वे चोरी के धन से कई दिनो तक मद और मदिरापान कर ऐश मारते थे। मुफ्त के चीकन मटन खा खा कर ऐसा गठीला शरीर बना लेते है की पुलिस के डंडे तो इनको खुजली मिटाने जैसे ही मनो लगते है। वही यदि पुलिस ऐसे चोरो को ज्यादा मारे तो उन्हें मानवाधिकार वाले बचाने आ जाते है।
    मगर अब कोराना के डर से लोग घरो मे रहने लगे है अब चोरी करना बहुत कठिन काम सा हो गया है।वही बाजारों मे पुलिस के तगडे जाफ्ते के चलते अब ये लोग शटर नही तोड सकते है। साथ ही रेले बसो के बंद हो जाने से अब ये जेब भी नही काट सकते है। पहले चोर राजनीतिक दलो की रैलीयो, धरनो मे जाकर लोगो का पर्स आसानी से उडा लाते थे पर अब वो धंधे भी इनके बंद से हो गये है।
   दूसरी और स्कुटर, कार, मोटरसाइकिल चुराने वालो के भी फांके पड गये है। कोई घर के सिवाय कही टिकता ही नही है। घात लगाकर बैठ जाने और नकली चाबी लगाकर फुर्र हो जाने के दिन जाने कहाँ चले गये। चोरी की गाडियों को आधे पडदे पैसो मे चोर बाजार मे माल बेचकर मोज करते थे।
  अब उन्हें चुपचाप ब्याह-शादीयो मे दुल्हे-दुल्हन के परिवार वालो को बेवकूफ बनाकर जेवर और नकदी का थैला उडा लाना भी बहुत याद आता होगा। किसी दिन बडी चोरी नही करपाते तो उस दिन बिजली के खंबो से मरकरी बल्ब ट्यूबलाइट सडको पर सीवरेज हाल पर लगे लोहे के ढक्कन तो मिनटों मे उडा देते थे मगर कोराना ने तो उनके सब धंधो पर ही पानी फेर दिया। हालांकि अब ऐसे होनहार चोरो को हार थक कर अब इनको छोटा मोटा सब्जीयो, पानी की पतासी के ठेले लगाकर या टायर पंचर की दुकाने खोलकर पेट भरना पड सकता है। चोरी के आदि हो चुके कुछ लोग तो अंदर ही अंदर यह भी सोचते होंगे की कोरोना लंबा चलना चोरी के धंधे के लिए भी ठीक नही है।
   हालांकि फिजिकल चोरो के ठीक विपरीत साईबर चोरो का धंधा आजकल बहुत मस्त चल रहा है। दिन मे सो फोन करते है और नकली लिंक भेजते है इनमे से एक मे भी कोई फंस जाये तो इनका काम चल जाता है। ऐसे शातिर चोर बैंक मैनेजर, रिजर्व बैंक के अधिकारी बन कर फोन करते है। बैंक एकाउंट बंद करने का हवाला देकर एटीएम कार्ड के नंबर और पिन मांगते है, नही बताने पर सीधे माँ बहन की गालियां तक बकते है। इनके जाल मे गरिबो की बजाय पढे-लिखे, पुलिस, डाक्टर, वकील, व्यापारी, विधायक, मंत्री यहाँ तक कि खूद बैंक के अधिकारी भी फंस जाते है। कोरोनाकाल मे इनका धंधा दस गुना फल फुल गया है। डर तो इस बात का है कि कहीं ठाले बैठे फिजिकल चोर इस लोकडाउन के खाली समय मे ट्रेनिंग लेकर कहीं चोरी के साईबर क्राईम से न जुड जाये।


(Omendra Singh Raghav) 

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