कोरोना संकट के समय प्रदेश के लगभग सभी अधिकारियों ने तनाव और दबाव झेला है। कहीं काम का दबाव था तो कही सतारूढ़ दल के मंत्रियों विधायकों का दबाव था। कहीं सीनियर अधिकारियों का दबाव था तो कहीं प्रतिपक्ष के नेताओं और विधायकों का उनमे और सत्तारुढ दल के विधायकों के क्षेत्र मे राहत सामग्री के वितरण को लेकर तनाव था। कहीं परिवार की चिंता थी तो कहीं खुद को कोरोना से सुरक्षित रखने का दबाव था।
अधिकारियों के लिए दबाव मे काम करना कोई नयी बात नही है। सर्विस मे रहकर वो धीरे धीरे सिख जाते है कि किस विधायक किस मंत्री और किस अधिकारी को कैसे टैकल करना है। कई बडे अधिकारी चाहते है कि उनके मातहत उनके हर आदेश माने। जरासी भी आनाकानी करते ही वो अपने से छोटे अधिकारियों को 17 सीसीए का नोटिस थमा देते है। वेतनवृद्धि परमोशन के डरसे कई बार छोटे अधिकारियों द्वारा अपने सीनियर के कई अनुचित आदेश जो वो लिखित मे नही वर्बली देते है मजबुरीवश मानने पडते है।
मगर नेताओं को खुश करना आसान नही होता। क्योंकि नेताओं की ज्यादातर सिफारिशें ही नियमो से बाहर जाकर काम करवाने की होती है। वो बिना सोचे समझे कार्यकर्ताओं के दबाव मे अनुचित काम की भी सिफारिश कर देते है। कई बार कुछ अधिकारी नियमो से बाहर जाकर उनका काम करके अपने नेताओं को खुश तो कर देते है मगर फिर जिंदगी भर कोर्ट कचेहरियो मे इसको भुगतते है। लेकिन इन नेताओं को नाराज करने वालो का ज्यादा से ज्यादा एक जगह से दुसरी जगह ट्रांसफर हो सकता है। इससे ज्यादा वो कुछ नही कर सकते।
कुछ दिनो पुर्व राजगढ़ के थानाधिकारी विष्णु दत्त विश्नोई जी के आत्महत्या करने के बाद पुरा प्रदेश ये जानना चाहता है कि आत्महत्या का क्या रहस्य था। किसी विधायक या मंत्री के दबाव मे आकर कोई सीनियर पुलिस अधिकारी आत्महत्या करले बात गले नही उतरती है। बहुत से पुलिस अधिकारी तो विधायको को गांठते ही नही है। हमने तो कई मंत्रियों के पुत्रो के गालो पर पुलिस वालो के पंजे पडते देखे है।
स्वर्गीय विष्णुदत जी ने आत्महत्या करने से पुर्व अपने परिवार और चुरु एसपी को पत्र भी लिखा है। वो चाहते तो दोषी व्यक्ति का नाम बता सकते थे उस पत्र मे पुरी घटना का उल्लेख भी कर सकते थे। ये आम धारणा है कि मरनेवाला व्यक्ति कभी झूठ नही बोलता है। सोचने की बात ये है कि फिर स्वर्गीय एसएचओ विष्णु दत्त जी ने इस राज को जान देने के बाद भी क्यों छुपाया। क्या इसका उल्लेख करने पर उनके या उनके परिवार पर कोई मुश्किल आसकती थी। उन्होंने अपने जिस वकील साथी से बात की है उसमे भी कही दबाव की वजह स्पष्ट नही है।
एक पुलिस अधिकारी की आत्महत्या के रहस्य से पर्दा अवश्य ही उठना चाहिए। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया जी और राजेंद्र सिंह राठौड ने पहले दिन ही इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। गहलोत सरकार को जल्दी से जल्दी इस प्रकरण की सीबीआई से जांच करवा के पुरे मामले का खुलासा करना चाहिए।हालांकि इससे पहले भी कई पुरुष और महिला पुलिस अधिकारियों ने आत्महत्याए की है मगर सबके अपने अपने कारण रहे होगें। इस आत्महत्या के पीछे भी जरूर कोई कारण रहा होगा जो सामने आना चाहिए।
(Omendra singh Raghav)