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डौंडियाखेड़ा के किले में सोना दबे होने का दावा करने वाले शोभन सरकार नहीं रहे

खुदाई में किले से सोना नहीं निकला था पर सरकार से लेकर राजा के वंशज तक दावा जताने लगे थे
    लखनऊ/कानपुर।। उन्नाव के ढौंडिया खेड़ा में 7 साल पहले रीवा नरेश के किले में शिव चबूतरे के पास 1000 टन सोना दबे होने का दावा कर पूरे देश ही नहीं विदेश तक में कौतूहल पैदा कर देने और आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की टीम को खजाने की खोज के लिए किले के अंदर खुदाई करने पर मजबूर कर देने वाले संत शोभन सरकार का आज निधन हो गया। शोभन सरकार के निधन से भक्तों में शोक की लहर है, कानपुर देहात के शिवली कोतवाली क्षेत्र के बैरी में बने उनके आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया है।
     बतातें चलें कि उस समय पहले भाजपा नेता नरेंद्र मोदी (अब प्रधानमंत्री) ने शोभन सरकार के सपने और सरकार की कार्यवाही का मजाक बनाया था, परंतु बाद में कहा था कि शोभन सरकार एक संत हैं, उनका त्याग और तपस्या आदरणीय है। गौरतलब है कि शोभन सरकार ने दावा किया था कि उन्हें सपने में फतेहपुर के रीवा नरेश के किले में शिव चबूतरे के पास 1000 टन सोने के दबे होने का पता चला है। इसके बाद ही साधु शोभन सरकार ने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी। स्थिति तब हास्यास्पद हो गई जब सरकार ने उनके सपने को सच मानते हुए अक्तूबर 2013 में खजाने को खोजने के लिए खुदाई भी शुरू करवा दी। हालांकि कई दिनों तक चली खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिला।
खजाने पर जमकर हुई थी उस समय राजनीति 
    साधु शोभन सरकार के सपने के आधार पर खजाने की खोज पर केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। तत्कालीन विहिप के नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि सिर्फ एक साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है। वहीं, खजाने के कई दावेदार भी सामने आ गए थे। राजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था, वहीं ग्रामीणों ने भी उस पर दावा किया था। जिसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि अगर खजाना मिला तो उस पर पर सिर्फ देशवासियों का हक होगा। यूपी की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार और से कहा गया था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्‍य सरकार का हक होगा।
काफी रहस्य भरा जीवन था शोभन सरकार का
    शोभन सरकार का जन्म शिवली के पास एक गाँव में हुआ था। बारहवीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होने अपना घर छोड़कर वैराग्य अपना लिया और शिवली में ही रहने लगे। इसके बाद उन्होंने अपना नाम परमहंस विरक्तानंद रख लिया। बाबा जटा और हल्की दाढ़ी रखते थे और सिर्फ लंगोट पहनते थे। वे कभी अपनी कुटिया में रहते कभी खेतों में लेटे मिलते थे।वो लोगों से थोड़ा दूर रहते थे। धीरे-धीरे उनके भक्तों की संख्या बढ़ी और बाबा ने एक आश्रम खोल जिसका नाम उन्होंने शोभन रखा, इसी के बाद से वे शोभन सरकार के नाम से जाने-जाने लगे, आश्रम भी उसी नाम से प्रचलित हो गया।
"पीपली लाइव” बन गया था डौंडियाखेड़ा… 
     शोभन सरकार के दावे और किले में खुदाई शुरू होने के बाद डौंडियाखेड़ा में वालीवुड की फिल्म “पीपली लाइव” की तरह का दृश्य उत्पन्न हो गया था, जो कई दिनों तक बना रहा था। उस समय लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे देश और विदेश तक से मीडिया का वहां जमावड़ा लग गया था। न्यूज चैनलों की ओवी वैन किले के आसपास जमा हो गईं थीं और लाइव प्रसारण शुरू हो गया था। डौंडियाखेड़ा में बड़ी संख्या में दुकानें लग गईं थीं और कई दिनों तक वहां मेला लगा रहा था।

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