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एक लाख चालीस हजार साठ मुकदमे तय करने वाले एशिया के इकलौते जज बने सुधीर अग्रवाल

  प्रयागराज।। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एशिया के सबसे अधिक मुकदमे तय करने वाले न्यायाधीश बन गये हैं। 23 अप्रैल 2020 को सेवा अवकाश लेने तक न्यायमूर्ति अग्रवाल ने एक लाख चालीस हजार साठ मुकदमे तय कर कीर्तिमान स्थापित किया। बृहस्पतिवार को उन्हें मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर की अध्यक्षता में फुलकोर्ट फेयरवेल में भावभीनी विदाई दी गयी। 
    न्यायमूर्ति अग्रवाल ने अयोध्या राम जन्म भूमि विवादए ज्योतिष पीठ शंकराचार्य विवाद, प्राइमरी स्कूलो की दशा सुधारने के लिए नेताओ व ब्यूरोक्रेट के बच्चो को इन स्कूलों में पढाना अनिवार्य करने प्रदर्शन के दौरान संपत्ति की भरपाई करने , शंकरगढ रियासत से 45 गावों को मुक्त करने एडेड अल्पसंख्यक विद्यालयों में लिखित परीक्षा से अध्यापक भर्ती प्रक्रिया वैध करार देने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले दिये। न्यायमूर्ति अग्रवाल का जन्म फीरोजाबाद में हुआ। 
   24 अप्रैल 1958 को शिकोहाबाद, फिरोजाबाद में जन्मे न्यायमूर्ति अग्रवाल अपने निर्भीक व कड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता रहे। 5अक्तूबर 2005 को न्यायमूर्ति बने। 10 अगस्त 2007 को स्थायी न्यायमूर्ति बने और 23 अप्रैल 2020 को सेवा अवकाश ग्रहण किया। 
   न्यायमूर्ति अग्रवाल अपने कार्यकाल में देश में सर्वाधिक मुकदमे तय करने वाले न्यायाधीश बन गए हैं। इनमें 10 हजार 815 मामले लखनऊ खंडपीठ के शामिल हैं। निर्णीत मुकदमों में 1788 फैसले नजीर बने। जिन्हें पुस्तकों में प्रकाशित करने योग्य माना गया। 
    अयोध्या विवाद पर साल 2010 में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से आए फैसले में शामिल तीन जजों में जस्टिस सुधीर अग्रवाल भी शामिल थे। अयोध्या विवाद के अलावा उन्होंने ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य विवाद, प्राइमरी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए नेताओं और अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने का भी फैसला दिया था। इसके साथ ही प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान की भरपाई, शंकरगढ़ रियासत से पैंतालीस गांवों को आज़ाद कराने, एडेड अल्पसंख्यक स्कूलों में लिखित परीक्षा से टीचर्स की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराने जैसे तमाम चर्चित मामलों में भी फैसला सुनाया है। सादगी के साथ रहने वाले जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने अपनी बेटी का ऑपरेशन प्रयागराज के सरकारी अस्पताल में कराया था।

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