जी-7 देशों में अब हिन्दुतान का लहराएगा परचम, आखिर क्यों जी- 7 में भारत को शामिल करना चाहते हैं ट्रंप ?
नई दिल्ली।। भारत अब उस शक्तिशाली समूह का हिस्सा बनने जा रहा है जो विश्व में अपना डंका पीटते है | इस समूह का नाम है जी-7 | एशिया में शक्ति संतुलन के चलते भारत को इसमें शामिल किया जा रहा है | अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वह जी-7 सम्मेलन को फिलहाल सितंबर तक टाल रहे हैं। इससे पहले वे भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस और दक्षिण कोरिया को बैठक के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि जी-7 ठीक से यह दर्शाता है कि दुनिया में क्या चल रहा है। यह देशों का एक बहुत पुराना समूह है।’
भारत को जी-7 में शामिल करने की क़बायत से चीन और पाकिस्तान दोनों देश सकते में आ गए है | बताया जा रहा है कि जी-7 में शामिल होने के बाद भारत की राह के कई रोड़े कट जायेंगे | संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने के लिए उसकी दावेदारी और पुख्ता हो जाएगी | दरअसल 46वें जी-7 शिखर सम्मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 10 जून से 12 जून तक आयोजन होना था। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते यह अब सितंबर तक टल गया है।
दरअसल जी-7 दुनिया के सात सबसे विकसित और औद्योगिक महाशक्तियों का संगठन है। इसे ग्रुप ऑफ सेवेन के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन में शामिल देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, इटली, जर्मनी, जापान है | जी-7 शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ भी प्रतिनिधित्व करता है।
बताया जाता है कि 1970 के दशक में जब वैश्विक आर्थिक मंदी और तेल संकट बढ़ रहा था, तब फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति बैलेरी जिस्कॉर्ड डी एस्टेइंग ने जी-7 की आधारशिला रखी। 1975 में जी-7 का गठन हुआ। तब इसमें सिर्फ छह संस्थापक देश थे। कनाडा इसमें शामिल नहीं था। यह सम्मेलन पहली बार 1975 में ही फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास स्थित शहर रम्बोइले में हुआ था। 1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल किया गया। तब जाकर इस समूह का नाम जी-7 रखा गया।
जानकारी के मुताबिक जी-7 एक अनौपचारिक संगठन है। इसका न तो कोई मुख्यालय है, न ही चार्टर या सचिवालय। जी-7 में किस तरह के मुद्दों पर होती है चर्चा? जी-7 की परंपरा रही है कि जिस देश में यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है वही इसकी अध्यक्षता करता है। इसके साथ ही मेजबान देश ही सम्मेलन में किन मुद्दों पर बात होगी, इसका निर्धारण भी करता है।
जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलन में दुनिया के अलग-अलग ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है। और उसका समाधान तलाशने की कोशिश की जाती है। जी-7 में जो देश शामिल हैं, वे कई मामलों में दुनिया में शीर्ष स्थान पर कायम हैं।
ये देश दुनिया में सबसे बड़े निर्यातक और परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। इन देशों के पास सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व और यूएन के बजट में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं। जी-7 के सम्मेलनों में कई अन्य संस्थाओं को भी आमंत्रित किया जाता है | इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन, यूनाइटेड नेशंस, अफ्रीकन यूनियन शामिल है |