नई दिल्ली।। आम लोगों के लिए राहत भरी खबर आई है | अब कोरोना संक्रमण से बचने के लिए एक ऐसा मास्क तैयार किया गया है, जो इसके वायरस के संपर्क में आते ही अपना रंग बदल लेगा | इससे मास्क पहनने वाले को पता लग जायेगा की वो जोखिम में है | दरअसल वैज्ञानिकों ने जीका और ईबोला वायरस के लिए ऐसे मास्क बनाए थे जो इन वायरस के छूते ही सिग्नल कर देता था. अब वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की पहचान के लिए भी ऐसा ही मास्क बनाया हैं | इसके परिक्षण भी कामयाब रहे है | यह मास्क कोरोना वायरस के संपर्क में आते ही रंग बदलेगा और उसमे लगा सिग्नल जलने लगेगा | मास्क में ऐसे सेंसर्स लगाए गए है, जो कोरोना वायरस के संपर्क में आते ही उसका एहसास कराएँगे |
बताया जाता है कि मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों 2014 में ऐसा मास्क बनाया था जो जीका और ईबोला के वायरस के संपर्क में आते ही सिग्नल देने लगता था. अब इन्हीं संस्थानों के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के लिए ऐसा मास्क बनाने में जुटे हैं | वैज्ञानिक जिम कॉलिंस ने कहा कि जैसे ही कोई कोरोना संदिग्ध इस मास्क के सामने सांस लेगा, छींकेगा या खांसेगा तो तुरंत वह मास्क फ्लोरोसेंट रंग में बदल जाएगा. यानी चमकने लगेगा. उन्होंने बताया कि यह तकनीक सफल साबित हुई तो कोरोना की तमाम प्रकार की स्क्रीनिंग टेस्ट के तरीकों को मात देगी | उनके मुताबिक मास्क में लगे लायोफिलाइजर जैसे ही गीले होंगे यानी थूक की बूंदें, म्यूकस, लार या फिर वायरस का जेनेटिक सिक्वेंस मास्क के संपर्क में आएगा वह रंग बदलने लगेगा. मास्क एक से तीन घंटे के बीच मास्क फ्लोरोसेंट रंग में बदल जाएगा |
कॉलिंस ने कहा कि ये मास्क ठीक ऐसा ही है जैसे आप एयरपोर्ट जाते हैं, प्लेन से यात्रा करने के लिए. लेकिन उसके पहले कई तरह के जांच होते हैं. ये जांच ही बताते हैं कि आप प्लेन में चढ़ेंगे या नहीं. उनके मुताबिक जैसे ही इस मास्क की सतह पर कोरोना वायरस से पीड़ित आदमी की खांसी, छींक या थूंक की बूंदे मास्क के संपर्क में आएंगी वो रंग बदलने लगेगा. इस मास्क के अंदर कोरोना वायरस का डीएनए और आरएनए आएगा वह तुरंत मास्क के अंदर मौजूद लायोफिलाइजर के साथ जुड़कर रंग बदल देगा. उन्होंने यह भी बताया कि इस मास्क को कई महीनों तक कमरे के तापमान पर सुरक्षित रखा जा सकता है |