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बीजेपी राज में न्याय मांगना पड़ा महंगा, सीबीआई जांच की मांग करने वाले ही सीबीआई के घेरे मे

    राजस्थान पुलिस से भरोसा उठ जाने के कारण अक्सर लोग प्रत्येक दुघर्टनाओं के बाद सीबीआई जांच की मांग करते है। अब तो ये ट्रेंड सा हो गया है कि जब तक किसी प्रकरण मे सरकार पर दबाकर उससे सीबीआई जांच का पत्र न लिखवा दिया जाये तब तक वह आंदोलन अधुरा ही माना जाता है। पिछले दिनों चुरु मे भी एक थाना अधिकारी की आत्महत्या के बाद ऐसा ही हुआ था। हालांकि इन लोगो को ये पता नहीं की सीबीआई हमेशा उनकी सोच के अनुसार काम नही करती है। उसकी काम करने की एक प्रक्रिया होती है जिसके अंतर्गत वो अनुसंधान करती है।
    कुछ ऐसे ही आज से तीन साल पहले आंनदपाल सिंह प्रकरण मे 24 जून 2017 को चुरु मे हुये एनकाउंटर की सीबीआई से जांच कराने की जबरदस्त मांग उठी थी। घटना के बाद आंनदपाल सिंह के परिवार ने आंनदपाल सिंह का शव लेने से इंकार कर दिया था। 2 जून को उनका शव गाव पहुंचा मगर दस दिन के आंदोलन के बाद 13 जून को ही उनका दाह संस्कार हो पाया था। इस मामले मे राजपूत समाज के कुछ बडे नेताओ के भारी दबाव के बाद इस मामले को सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश वसुंधरा राजे सरकार ने की थी। 6 जनवरी 2018 को सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की।
    लगभग ढाई साल बाद सीबीआई ने जांच मे आनंदपाल सिंह ऐनकांउटर को सही मानते हुये न केवल इस प्रकरण मे एफआर लगा दी है बल्कि जोधपुर की सीबीआई विशेष मामला एसीएम कोर्ट मे लोकेंद्र सिंह जी कालवी, गिरिराज सिंह जी लोटवाडा, सुखदेव सिंह जी गोगामेड़ी, रणबीर सिंह जी गुढा, हनुमान सिंह जी खांगटा समेत 24 लोगो के खिलाफ भीड को भडकाकर दंगा फैलाने का आरोपित मानते हुये चार्जशीट भी पेश की है। राजपूत समाज के ये चोबीस लोग आंनदपाल सिंह के परिवार को ढाढस बंधाने और उनकी श्रदांजलि सभा मे भाग लेने के लिए 12 जुलाई 2017 को मालावास गांव गये थे। इनकी मांग थी कि यदि आंनदपाल सिंह निहत्था पुलिस को सैरेंडर होना चाहता था तो फिर उसे एनकाउंटर मे क्यों मारा गया?
     चूंकि ऐनकांउटर राजस्थान पुलिस ने किया था इस लिए सीबीआई से जांच कराने की मांग वाजिब थी। मगर इस प्रकरण की सीबीआई जांच के बाद चार्जशीट मे 12 जुलाई 2017 को हुयी श्रदांजलि सभा मे दिये गये भडकाऊ भाषणो के आधार पर जिन चोबीस लोगो के खिलाफ आरोप दर्ज किये गये है उससे लगता है कि सीबीआई ने इस मामले की जांच मे कुछ त्रुटियां छोडी है। हो सकता है चोबीस मे से दो चार लोगो ने भडकाऊ बाते की हो मगर पुरे चौबीस लोगो ने भडकाऊ भाषण दिये हो कहना मुश्किल है। दुख तो इस बात का है कि जिस बेटी ने अपने पिता को इस मुठभेड़ मे खो दिया उसका नाम भी चार्जशीट मे लिखा गया है। आंनदपाल सिंह की बेटी योगिता सिंह का आरोपित मे नाम आना चिंता का विषय है।
     सीबीआई की इस चार्जशीट पर अब कोर्ट को फैसला लेना है की सीबीआई द्वारा प्रस्तुत कितने गवाह, पुलिस द्वारा भाषणो की रिकॉर्डिंग, वीडियोग्राफी, और फुटेज कितने सही और कितने गलत साबित होते है। मगर इस फैसले होने मे अनेक बरस लग सकते है। कुछ लोगो की तो इस प्रक्रिया मे पुरी जिंदगी निकल सकती है। तब तक सीबीआई की इस जांच पर ये सवाल जरूर खडा हो सकता है कि जिन लोगो ने सीबीआई से जांच कराने की मांग करी वो ही सीबीआई के आरोपित कैसे बन गये है? साथ ही उन लोगो के लिए भी एक चेतावनी है जो हर मामलो मे सीबीआई जांच की मांग करने के लिए घटना स्थलो पर दबाव की राजनीति करते है।



(Omendra singh Raghav)

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