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मगर आज देश मे कोरोना के लगभग ढाई लाख पोजीटिव होने के बाद भी लोगो का कोरोना के प्रति भय खत्म हो गया है। लोकडाउन खत्म होते ही लोग कोरोना को खत्म समझकर घरो के बाहर निकलने लगे है।दुकाने, व्यापार, उद्योग, सिनेमा, मॉल, शादीया सब या तो चालु हो गये है या जल्दी ही प्रारंभ होने वाले है। लोग समझ रहे है कि अगर थोडीसी सावधानी रखकर काम किया जाये तो कोरोना से बचा जा सकता है। मगर हकीकत मे ऐसा संभव नही है कि लोग पुरे दिन पुरी सावधानी बरत पायेगें। कहीं न कहीं तो संभलते-संभलते भी चूक हो सकती है और बस वही कोरोना के गिरफ्त मे आने की संभावना बनती है।
देखा जाए तो कोरोना तीसरे गियर मे आ गया है। यानि की जहां पहले सो पेशेंट रोज सामने आ रहे थे, फिर हजार और अब लगभग दस हजार पेशेंट रोज आने लगे है। यदि ये स्पीड ऐसे ही चली तो निःसंदेह हमारा देश कोरोना लिस्ट के टोप मे भी दोड लगा सकता है और आगे ऐक दिन मे एक लाख पेशेंट भी आने लग सकते है। ऐसे मे कोन कोरोना से बच पायेगा? कोन इसकी चपेट मे आ जायेगा कहना मुश्किल है। लेकिन चिंता की बात ये है कि यदि एक दिन पुरा देश ही कोरोना पोजिटिव हो गया तब उससे बाहर कैसे निकलेंगे? मगर ये भी हो सकता है कि कोरोना से लडते-लडते हमारा शरीर इसको झेलने का आदि हो जाये और शरीर मे एंटीबाडी तैयार करले और जिंदगी पहले की भांति सामान्य हो जाये। मगर इसमे अभी थोडा और समय लगेगा।
हालांकि हमारे डाक्टर वैज्ञानिक दिन-रात इस कोशिश मे लगे है कि वो कोई ऐसी दवा या वैक्सीन ईजाद करले जो कोरोना को मात देदे मगर तब तक तो हमे कोरोना के भय मे कोरोना से बचकर या कोरोना से लडकर ही जीना होगा।
धन्य है वो लोग जो कोरोना से बचकर लोट आये है। धन्य है वो लोग जो कोरोना से हमारी रक्षा मे सीने-ताने खडे है धन्य है वो लोग जिन्होंने कोरोना की दवाओं और वैक्सीन के परिक्षण हेतु अपने शरीर पर प्रयोग करने की हँसते-हँसते अनुमती दे दी है। नमन है उन डाक्टरो, नर्सो, वैज्ञानिकों एवं अन्य कोरोना वारियर्स का जिन्होंने इस जंग मे मानवता को बचाने के लिए अपने प्राणो की आहुतियां दे दी।
(Omendra singh Raghav)