गहलोत सरकार : अब आगे कितने दिन ?
जब से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों को बिकाऊ कहना शुरु किया है तब से उनकी सरकार एक सो पच्चीस विधायको के समर्थन के बावजूद अस्थिर दिखाई दे रही है। देश प्रदेश के लोग अब टकटकी लगाये दिन गिन रहे है कि गहलोत सरकार का आखिरी दिन अब कोनसा होगा ?
मुख्यमंत्री गहलोत का रोज प्रेस कांफ्रेस बुला कर भाजपा पर झल्लाने का मतलब उनकी सरकार सचमुच खतरे मे है। लगता है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अपने विधायको पर पकड कमजोर हो गयी है। कांग्रेस विधायक समेत उसके समर्थक विधायक बिस्तर बांधकर पाला बदलने को तैयार बैठे है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच चल रही इस कुर्सी की लडाई मे भाजपा को फायदा मिल जाये तो आश्चर्य नही होगा। मुख्यमंत्री गहलोत जहां अपने प्रतिद्वंद्वी पायलेट को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर अपने समर्थक को पीसीसी अध्यक्ष बनाना चाहते है तो वहीं पायलट मुख्यमंत्री गहलोत को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते है। ऐसे मे कांग्रेस की सरकार तो गिरना निश्चित है मगर गिरने मे कितना समय लगेगा ये थोडा अनिश्चित है।
हालांकि गहलोत ने विधायकों पर चोकसी हेतु राज्य की सीमाओं पर नाकेबंदी बढा दी है मगर जाने वालो के लिए हजार रास्ते होते है। फिलहाल तो कमलनाथ के बाद जाने की अगली बारी अशोक गहलोत की लगती है। जिस भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को वो नवसिखिया राजनेता समझकर बडी-बडी बाते करते थे आज उसी अनुभवी राजनेता के नेतृत्व मे राजस्थान भाजपा ने कांग्रेस सरकार की चूले हिलादी है।मंहगाई, भ्रष्टाचार, कोरोना मनेजमेंट विफलता पर पूनियां जी के नेतृत्व मे भाजपा ने उन्हें लगातार घेरा है ।
फिलहाल गहलोत सरकार को सतीश पूनियांजी के खिलाफ विधानसभा मे विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाकर उन्हें डराने की बजाय अपनी सरकार को बचाने मे लगना होगा क्योंकि विधायकों को बिकाऊ वो समझते है भाजपा नही। ऐसे मे विधायकों को लोभ लालच देकर भाजपा मे जाने से रोकने की जिम्मेदारी तथा उन्हें अपने पक्ष मे बनाये रखने की एक बहुत बडी चुनोती उनके सामने है।
(Omendra singh Raghav)