चीन ने ईरान के साथ 400 अरब डॉलर का करार करते हुए पहली शर्त रखी कि उसे भारत को छोड़ना पड़ेगा जो इस बात से साबित होता है कि ईरान ने भारत को चाबहार से अलग कर दिया।
चीन अंग्रेजों की तरह एक के बाद एक देशों को कर्ज में डुबो कर अपना गुलाम बनाता जा रहा है जैसे पाकिस्तान को कंगाल कर चुका है -- आज उसे किसी देश से, IMF या World Bank के कर्ज लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है और इसलिए वो चीन के मकड़जाल में फंसता जा रहा है। दूसरा उस पर आतंकी देश घोषित होने का खतरा बराबर मंडरा रहा है।
दूसरी तरफ ईरान पहले ही अमेरिका के आर्थिक प्रतिबन्ध झेलते हुए दुनियां भर के देशों से अलग थलग पड़ा है और अब चीन पर पूरी तरह निर्भर होने के सिवाय उसके पास कोई विकल्प नहीं रह जायेगा।
चीन के बहकाये में ईरान ने भारत जैसे मित्र देश को बेशक छोड़ दिया है लेकिन इसका खामियाजा उसे भुगतने को जल्दी मिलेगा --भारत के साथ इस साल में ईरान का व्यापार पहले 8 महीने में 17 बिलियन डॉलर से घट कर 3.5 बिलियन डॉलर पर आ चुका है (79.4% गिर चुका है) और अब और भी गिरेगा, जबकि चीन के अमेरिका की लॉकहीड जैसी कंपनी पर प्रतिबन्ध लगाने का कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्यूंकि कोई देश उस कंपनी से लेन देन बंद नहीं करेगा -हां ईरान जैसा देश जरूर उसका हुकुम बजायेगा।
56 इस्लामिक देशों के होते हुए भी आज कोई देश पाकिस्तान के साथ नहीं खड़ा - कल ये हालत ईरान की भी हो जाएगी क्यूंकि सऊदी अरब का दबदबा इस्लामिक देशों पर रहता है और ईरान शिया होते हुए सुन्नी सऊदी का सबसे बड़ा शत्रु है जबकि सुन्नी पाकिस्तान का साथ ईरान को देना पड़ेगा।
ईरान और पाकिस्तान भारत के मुसलमानों के लिए टसुए बहाते हैं मगर चीन के हाथों पिस रहे उइघुर मुसलमानों के लिए मुंह बंद करने को मजबूर हैं और रहेंगे जिसके लिए एक न एक दिन सभी इस्लामिक देश इन पर बदनामी का दाग लगाएंगे।
चीन के आज की तारीख में 18 देशों के साथ सीमा विवाद हैं और उनमे कई तो ऐसे देश हैं जिनके साथ चीन की सीमा दूर दूर तक नहीं लगती - वो 18 देश है -- जापान, वियतनाम, भारत, नेपाल, उत्तरी कोरिया, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, भूटान, ताइवान, लाओस, कजाकस्तान, ब्रुनेइं, तजाकिस्तान, कंबोडिया, मलेशिया, किर्गिस्तान, मंगोलिया और अफ़ग़ानिस्तान - उत्तरी कोरिया को छोड़ कर बाकी सभी देशो को चीन के खिलाफ एकजुट हो कर खड़े हो जाना चाहिए।
अमेरिका और यूरोप का साथ मिलेगा जरूर - इनके अलावा रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पर भी जुलाई के पहले हफ्ते में चीन ने दावा ठोक दिया - ऐसा लगता है शी जिंगपिंग पूरी तरह से पागल हो चुका है या उसके सलाहकार ही पागल हैं।
लेकिन चीन द्वारा पाकिस्तान के बाद ईरान को अपने कब्जे में करने से मुझे लगता है इस्लामिक देशों में आपस में युद्ध की स्तिथि पैदा होगी और इस्लाम के लिए बड़ा खतरा पैदा होगा -- मगर ईरान ने अपना पैर कुल्हाड़ी पर दे मारा है चीन की गुलामी कुबूल करके...
(सुभाष चन्द्र)