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फूलन देवी को अपना आदर्श मानने वाले लोग एक बार जरूर पढे--

   आप फूलन देवी पर कुछ फैक्ट जानिए और आप चाहे तो जालौन जिले में फूलन देवी के गांव जाकर इस फैक्ट को पता कर सकते हैं कि फूलन देवी पर जुल्म किसने किया है। इसके सगे चाचा ने इसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था..10 साल की उम्र में इसने अपनी मां से पूछा की मां हमारे चाचा के पास हमसे ज्यादा जमीन क्यों है तब इसकी मां ने बताया कि उन्होंने हमारी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया है क्योंकि उनके लड़के हमसे ताकतवर हैं
  तब ये 9 साल की उम्र में अपने चाचा का सर फोड़ दी थी क्योंकि यह एक बच्ची थी इसलिए कोई पुलिस केस नहीं हुआ था।  10 साल की उम्र में फूलन देवी के बाप ने इसे एक 45 साल के बूढ़े को 3000 रु. में बेच दिया था इसका बूढ़ा पति भी इसी के जाति का था और इसके ऊपर बहुत अत्याचार करता था। 
   एक दिन फूलन देवी पति के अत्याचार से तंग आकर अपने मायके आ गई.. कुछ दिन के बाद इसके भाइयों ने इसे जबरदस्ती इसके पति के घर भेज दिया वहां जाकर पता चला कि उसके पति ने कोई और महिला से शादी कर ली है फिर इसके पति और इसके पति की दूसरी पत्नी ने इसे घर से भगा दिया फिर यह वापस अपने गांव आ गई। 
   मायके में सगे भाइयों से इसका काफी झगड़ा हुआ तब उसके सगे भाइयों ने इसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करवा दिया जिससे यह थाने में बंद हो गई तब गांव के ठाकुरों ने ही यह सोचकर इसका जमानत करवाया कि गांव की लड़की जेल में बंद हो तो यह गांव के लिए शर्मनाक बात है। 
   एक दिन इसकी गांव में विक्रम मल्लाह नामक एक डकैत में धावा बोला और उसने फूलन देवी के साथ बलात्कार किया और विक्रम मल्लाह 4 दिन तक गांव में रुका छुपा रहा और जाते हुए वह फूलन देवी को भी अपने साथ बीहड़ में लेकर चला गया। 
    विक्रम मल्लाह डकैतों की गैंग का सरदार नहीं था बल्कि सरदार बाबू गुर्जर था। एक दिन बाबू गुर्जर ने फूलन देवी का बलात्कार किया जिससे गुस्से में विक्रम मल्लाह ने बाबू गुर्जर की हत्या कर दी और पूरी गैंग की कमान अपने हाथ में ले लिया फूलन देवी विक्रम मल्लाह की रखैल बन गई उसके बाद फूलन देवी विक्रम मल्लाह के साथ अपने पति के गांव गई और अपने पति को और अपने पति के दूसरी पत्नी को मरणासन्न हालत तक पीटा और बीच-बचाव करने आए दो लोगों को गोली मार दी। 
    डकैतों के एक दूसरे गैंग का मुखिया दादा ठाकुर जो मीणा/मैना था वह बाबू गुर्जर की हत्या से विक्रम मल्लाह से नाराज और दादा ठाकुर ने विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी। 
   विक्रम मल्लाह की हत्या से नाराज होकर फूलन देवी ने मीणा जाति के गैंग के सदस्य ठाकुर लालाराम मीणा को मार दिया।  इससे दादा ठाकुर ने एक गांव में घुसकर मल्लाह जाति के 25 लोगों को मार दिया।  
    फूलन देवी को शक था गांव के छत्रिय यानी ठाकुर समाज के लोग दादा ठाकुर मीणा के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उसे संरक्षण देते हैं तब उसने बेहमई गांव में 22 ठाकुरों को गोलियों से भून डाला और एक 6 महीने की बच्ची को उठाकर आसमान में फेंक दिया जिससे वह बच्ची जमीन पर गिरी और उसकी गर्दन की हड्डी और रीढ़ की हड्डी टूट गई वह बच्ची आज भी जिंदा है लेकिन न चल सकती है ना बैठ सकती है वह बच्ची आज एक जिंदा लाश बन कर एक युवती बन चुकी है
   लेकिन मीडिया ने फूलन देवी को यह कहकर हीरोइन बना दिया कि उच्च जातियों के अत्याचारों से तंग आकर फूलन देवी ने बदला लिया। अब आप खुद विचार करिए कि फूलन देवी पर अत्याचार करने वाले कौन लोग थे? क्या फूलन देवी का पिता दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी को 45 साल के बूढ़े को बेच दिया ? क्या फूलन देवी का चाचा दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी के जमीन पर कब्जा किया ? क्या फूलन देवी के सगे भाई दोषी नहीं है जो उसे बार-बार उसके अत्याचारी पति के पास छोड़ आते थे ? 
    क्या फूलन देवी का पति दोषी नहीं है जो उसके ऊपर अत्याचार करता था ? क्या विक्रम मल्लाह दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी का बलात्कार किया और उसे उठाकर बीहड़ लेकर चला गया और उसे अपराध की दुनिया में ढकेल दिया ?लेकिन अफसोस लोगों को यही बताया जाता है दोषी तो उच्च वर्ग के लोग हैं।
तो फिर सर्वणों के ख़िलाफ़ भ्रम जाल किसने फैलाया 
   फूलन देवी ने कभी यह नही कहा था कि उसके साथ सवर्णों द्वारा बलात्कार हुआ था, यह बात अरुंधति रॉय ने फैलाई थी। फूलन देवी के कई इंटरव्यू यूट्यूब पर मौजूद है और साथ ही फूलन देवी की मां का भी इंटरव्यू है जिसे आप देख सकते हैं। 
   अरुंधति रॉय ने अंग्रेजी साप्ताहिक आउटलुक (6 मई 2002) ने गुजरात दंगे पर एक लेख लिखा। उसका अंश इस प्रकार था, " .....एक भीड़ ने पूर्व सांसद एहसान जाफरी के घर को घेर लिया, भीड़ उनके घर मे घुस गई। उन लोगो ने जाफरी की बेटियों को निर्वस्त्र किया। फिर जिंदा जला दिया।" ऐसा भयानक झूठ पढ़कर जाफरी के पुत्र टी ए जाफरी अचंभित रह गए। उन्होंने एशियन एज (20 मई 2002 ई) में पत्र लिखा, " ... अपने तमाम भाई बहनों में केवल मैं भारत रहता हूं, मेरी सभी बहने-भाई अमेरिका में रहते है और सकुशल है।" लेकिन सच सामने आने पर अरुंधति ने माफी नही मांगी। उल्टे क्रोधित हो कर अपने आलोचकों साम्प्रदायिक कहकर फटकारा।
    हालांकि जब एहसान जाफरी की बेटियों ने अरुंधति राय के लेख पर आपत्ति जताई तब अरुंधति राय ने ईमेल के द्वारा उनसे माफी मांग कर बात को खत्म कर दिया लेकिन अरुंधति राय ने पूरी दुनिया में गुजरात दंगों में हिंदुओं को बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। 
   दरअसल अरुंधति राय हिंदुओं को वहशी और बलात्कारी साबित करना चाहती थी गौरतलब है अरुंधति राय ईसाई हैं और इसी बहाने वह अपने चर्च का एजेंडा चला रही थी। 
   लेकिन झूठ फैलाने में वह भूल गई कि एहसान जाफरी अहमदाबाद में अपनी पत्नी के साथ रहते थे उनका बेटा मुंबई रहता था और उनकी तीनों बेटियां अमेरिका रहती थी। 

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