देश की आजादी के बाद मथुरा जेल में एक बार फिर एक महिला को फांसी देने की तैयारी चल रही है। आजादी के बाद, शबनम देश की पहली महिला होगी जिसे फांसी दी जाएगी। अभी फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। मेरठ के पैतृक जल्लाद पवन ने भी फांसी घर का निरीक्षण किया है। मनीला से हैंगिंग लूप के लिए विशेष रस्सी खरीदी गई है, जबकि बक्सर में नोज तैयार किया जा रहा है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के बवानीखेड़ी गांव की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ 14-15 अप्रैल 2008 की रात को अपने ही घर में खूनी खेल खेला था। शबनम ने अपने माता-पिता, दो भाई, एक भाभी, मौसी की लड़की और मासूम भतीजे को मार दिया था। शबनम ने जिस भाभी की हत्या की थी वह भाभी गर्भवती थी। सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा के बाद राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका को भी खारिज कर दिया है।
आपको बता दें, फांसी से पहले उस व्यक्ति की अंतिम इच्छा पूछी जाती है। इसमें परिवार के सदस्यों से मिलना, अच्छा खाना या अन्य इच्छाएँ शामिल हैं। जिस दोषी को फांसी दी गई है, उसे फांसी दिए जाने का आखिरी क्षण है। फांसी से पहले, जल्लाद आरोपी के कान में कुछ कहता है जिसके बाद वह मंच से जुड़े लीवर को खींचता है। फांसी दिए जाने से कुछ समय पहले, वह अपराधी के कान में फुसफुसाया, झे क्षमा करें, मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं। मैं कानून से बंधा हुआ हूं। इसके बाद, अगर अपराधी हिंदू है, तो वह उसे राम-राम कहता है। अगर कोई मुसलमान है, तो वह उसे आखिरी बार सलाम देता है।