ट्रेन में यात्रा करते वक़्त हमारा ध्यान अक्सर TTE की तरफ रहता है। खासकर तब जब हमारे पास टिकट न हो, या टिकट में कुछ गड़बड़ी हो। ऐसे में एक डर हमेशा बना रहता है, की कहीं TTE अनावश्यक फाइन न लगा दे। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा की एक ट्रेन ऐसी भी है जहाँ टिकट लेने का झंझट नहीं है। जी हाँ, भारत में चलने वाली इस ट्रैन में आप मुफ्त में यात्रा कर सकते हैं।
दरअसल, यह ट्रेन भारत के भाखड़ा-नांगल रेल रूट पर चलती है। पंजाब के नांगल से हिमाचल में बने भाखड़ा डैम तक चलने वाली यह दुनिया की एकमात्र ऐसी ट्रेन है जिससे सफर करने के लिए यात्रियों को किसी तरह के टिकट की जरूरत नहीं पड़ती। 1949 में शुरू हुई यह ट्रेन पिछले 70 सालों से इस रूट से सफर करने वाले 25 गांवों के लोगों को मुफ्त में ही अपनी सेवाएं दे रही है। आपको बता दें भाखड़ा डैम का नाम भारत के अद्भुत बांधों में शुमार होता है। लगभग 225 मीटर ऊँचे इस बांध की गिनती भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे ऊँचे बांधों में होती है। इसको देखने के लिए काफी पर्यटक हर साल यहाँ आते हैं।
भाखड़ा से नांगल और नांगल से भाखड़ा तक के सफर की सुविधा देने वाली ट्रेन का संचालन बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) करती है। आज़ाद भारत की सबसे बड़ी कामयाबी में से एक भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण के समय से ही यह बोर्ड इन दो हिस्सों को जोड़ने वाली ट्रेन के परिचालन का जिम्मा सँभाल रहा है।
दरअसल, भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के वक्त बांध बनाने वाले मैनेजमेंट ने गांववालों से यह वादा किया था कि उनकी सुविधा के लिए भाखड़ा और नांगल के बीच ट्रेन चलाई जाएगी। और इस ट्रेन से यात्रा करने के लिए किसी तरह के टिकट की आवश्यकता नहीं होगी। इस ट्रेन में लगी सीटें लकड़ी की बनी हुई हैं जैसे पहले हुआ करती थीं और इंजन भी अंग्रेज़ों के ज़माने का है। यात्रा करते वक़्त आपको एक सुरंग और सतलज नदी पर बने पुल देखने को मिलेंगे जो इस यात्रा को रोमांच से भर देते हैं।
भाखड़ा-नांगल के बीच चलने वाली ये ट्रेन दिन में दो बार अप-डाउन करती है। ट्रेन नांगल से सुबह 7:05 बजे और दोपहर 3:05 बजे भाखड़ा के लिए चलती है। वहीं भाखड़ा से वापसी सुबह 8:20 व शाम 4:20 की होती है। भाखड़ा और नांगल के बीच की दूरी तय करने में इस ट्रेन को तकरीबन 1 घंटे का समय लगता है। इन दोनों स्टेशनों के बीच रहने वाले करीब 25 गांवों के लोगों के लिए ये ट्रेन किसी वरदान से कम नहीं है। और विद्यार्थियों के लिए तो यह ट्रेन जीवनदायिनी है। क्योंकि उन्हें उच्च शिक्षा के लिए नांगल के भटोली में जाना पड़ता है और नांगल तक जाने के लिए उनके पास ट्रेन से बेहतर दूसरा कोई और विकल्प नहीं है।
वैसे, असल में यह ट्रेन चलता-फिरता सम्मारक है। या फिर कहें कि हमारे गौरवपूर्ण इतिहास का प्रतीक। क्योंकि आज़ादी मिलने के बाद भाखड़ा-नांगल जैसा विशालकाय बांध बनाने और उसके बाद पहाड़ी रास्तों को काटकर दुर्गम इलाकों के बीच ट्रेन के लिए रास्ता बनाने जैसी अविश्वसनीय व अविस्मरणीय उपलब्धि से नौजवानों को रूबरू कराने और उनके ज़ेहन में बीते कल की बातों को जिंदा रखने के लिए पिछले 70 सालों से भाखड़ा-नांगल के बीच मुफ्त ट्रेन सेवा जारी है।