मिलिटरी गाड़ियां संरक्षण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में रजिस्टर होती हैं. इन गाड़ियों पर एक उपर की तरफ दिखाया हुआ चिन्ह रहता है और चिन्ह के आगे जिस वर्ष गाड़ी बनाई गई या आयात (Import) कराई गई उस वर्ष के आखिर के दो क्रमांक होते हैं.
मिसाल के तौर पर अगर २००३ वर्ष है तो (03)! इन दो क्रमांको के आगे होता है बेस कोड, उसके आगे होता है वाहन क्रमांक और उसके आगे होता है गाड़ी का दर्जा..!
मिलिटरी गाड़ियों के नंबर प्लेट पर चिन्ह इस कारण दर्शाते हैं की अगर गलती से नंबर प्लेट उलटी लग गई तो उस चिन्ह (arrow) की वजह से ध्यान में आता है. यह चिन्ह आपको संरक्षण मंत्रालय के गाड़ियों पर ही नही बल्कि हर संपदा पर दिखेगा.
मिलिटरी गाड़ियों के नंबर प्लेट हरे अथवा काले रंग के होते हैं. संरक्षण विभाग के अधिकारी केवल अधिकृत काम के लिए ही इन गाड़ियों का उपयोग कर सकते हैं.
मिलिटरी गाड़ियों को सिग्नल मिलने तक इंतजार करने की जरूरत नही होती. मतलब इन गाड़ियों को सिग्नल तोड़ने की अनुमती होती है.
केवल सिग्नल ही नहीं बल्कि वाहन संबंधी अनेक नियम जो आप और हम सामान्य रूप से पालन करते है. वे मिलिटरी वाहनों पर लागू नही होते.
उसी तरह इन मिलिटरी गाड़ियों पर आपने सितारे (स्टार्स) देखे होंगे. यह सितारे अधिकारी के ओहदे के अनुसार उसकी गाड़ी पर लगाए जाते हैं.
अगर थल सेना का कोई दलप्रमुख (Chief Of Staff) अधिकारी हो, तो गाड़ी पर लाल रंग की दूसरी प्लेट लगाई जाती है जिसपर चार स्टार्स होते हैं.
अगर वायुसेना का कोई दलप्रमुख अधिकारी हो तो उसकी गाड़ी पर आकाशी रंग की दूसरी प्लेट लगाई जाती है जिसपर चार स्टार्स होते हैं.
उसी प्रकार से अगर नौसेना का कोई दलप्रमुख अधिकारी हो तो गाड़ी पर नेव्ही ब्ल्यू रंग की दूसरी प्लेट लगाई जाती है जिसपर चार स्टार्स होते हैं.
इन अधिकारीयों के उपर के पद पर होनेवाले अधिकारी मतलब थलसेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख या वायुसेना प्रमुख होंगे तो उनकी गाड़ियों पर पाच स्टार्स होते हैं. यह स्टार्स यह दर्शाते हैं कि अधिकारी सेवा-निवृत्त होने के बाद भी इसका इस्तमाल कर सकते है.
इसके आलावा राष्ट्रपती और राज्यपाल को सरकार की तरफ से मिलनेवाली गाड़ियों पर, स्वर्णअंकित अशोकस्तंभ होता है. इन गाड़ियों का कोई क्रमांक नही होता. यह बात शायद सबको पता ना हो. ऐसी होती है इन सरकारी गाड़ियों की शान!!