बेंगलुरु।। कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन लगने से गरीब लोग जहा बेरोजगार हो गए हैं तो वही उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा रहा है. ऐसे समय में कर्नाटक के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री उमेश कट्टी का विवादित बयान सामने आया है.
जानकारी अनुसार खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री उमेश कट्टी को गडग के एक किसान कार्यकर्ता ने बुधवार को फोन किया था. उनसे पूछा कि लॉकडाउन की वजह से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में एक महीने में दो किलो चावल के सहारे कोई कैसे जीवित रह सकता है. जिस पर खाद्य मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के मद्देनजर केंद्र सरकार मई और जून में पांच किलो अनाज देगा.
इस पर किसान ने कहा कि क्या लोगों को तब तक उपवास करना चाहिए या मर जाए ? जिस पर मंत्री उमेश कट्टी ने कहा कि ‘बेहतर होगा मर जाए. बेहतर होगा कि आप चावल का व्यापार करना बंद कर दें. मुझे दोबारा फोन मत करना.’ यह कहकर उन्होंने फोन काट दिया.
खाद्य मंत्री ने ऐसा बयान देकर मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए. इसके बाद में मंत्री ने अपना बयान वापस लेते हुए खेद जताया है. मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में येदियुरप्पा के हवाले से बताया गया कि उन्होंने कट्टी के बयान को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि किसी मंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख डी के शिवकुमार ने कट्टी के बयान के लिए उनकी आलोचना की और राज्य सरकार से उन्हें तुरंत पद से हटाने को कहा. पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने भी कट्टी की आलोचना की.