Latest News Today: Breaking Digital News in Hindi and English News Today: Your Daily Source for Time-Sensitive Updates Real-Time News Today: Hindi and English Updates at Your Fingertips वह घाट जहा पर चिता की अग्नि लगातार जलती ही रहती है
Headline News
Loading...

Ads Area

वह घाट जहा पर चिता की अग्नि लगातार जलती ही रहती है

 मणिकर्णिका घाट का इतिहास क्या है?
  काशी के 84 घाटों में चर्चित एक घाट का नाम है "मणिकर्णिका"। इस घाट के बारे में कहा जाता है कि यहां दाह संस्कार होने पर व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण अधिकतर लोग अपने अंतिम समय में इसी घाट पर आना चाहते हैं। यहां पर शिवजी और मां दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसका निर्माण मगध के राजा ने करवाया था। 
   हिंदुओं के लिए इस घाट को अंतिम संस्कार के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। बताया जाता है कि मणिकर्णिका घाट को भगवान शिव ने अनंत शांति का वरदान दिया है। इस घाट पर पहुंचकर ही जीवन की असलियत के बारे में पता चलता है।
मणिकर्णिका घाट की कहानी क्या है?
   एक कहानी हमारे पौराणिक इतिहास में दर्ज है जो मणिकर्णिका घाट की इसी महिमा को उजागर करती है। माना जाता है कि जब शिव विनाशक बनकर सृष्टि का विनाश कर रहे थे तब काशी नगरी को बचाने के लिए विष्णु ने शिव को शांत करने के लिए तप प्रारंभ किया।
   भगवान शिव और पार्वती जब इस स्थान पर आए तब शिव ने अपने चक्र से गंगा नदी के किनारे एक कुंड का निर्माण किया। जब शिव इस कुंड में स्नान करने लगे तब उनके कान की बाली यहां गिर गई जिसके बाद इस कुंड का नाम मणिकर्णिका पड़ गया। इस कुंड के किनारे स्थित घाट को मणिकर्णिका घाट कहा जाने लगा।
    भोलेनाथ शिव को अपने भक्तों से छुट्टी ही नहीं मिल पाती थी। देवी पार्वती इससे परेशान हुईं और शिवजी को रोके रखने हेतु अपने कान की मणिकर्णिका वहीं छुपा दी और शिवजी से उसे ढूंढने को कहा। शिवजी उसे ढूंढ नहीं पाये और आज तक जिसकी भी अन्त्येष्टि उस घाट पर की जाती है, वे उससे पूछते हैं कि क्या उसने देखी है? प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार मणिकर्णिका घाट का स्वामी वही चाण्डाल था, जिसने सत्यवादी राजा हरिशचंद्र को खरीदा था। उसने राजा को अपना दास बना कर उस घाट पर अन्त्येष्टि करने आने वाले लोगों से कर वसूलने का काम दे दिया था। इस घाट की विशेषता ये हैं, कि यहां लगातार हिन्दू अन्त्येष्टि होती रहती हैं व घाट पर चिता की अग्नि लगातार जलती ही रहती है, कभी भी बुझने नहीं पाती। इसी कारण इसको महाश्मशान नाम से भी जाना जाता है। 

Post a Comment

0 Comments