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रेमडेसिविर इंजेक्शन में ऐसा क्या है जो इसकी मांग अचानक इतनी बढ़ गयी है?

क्या है ये रेमडिसिविर (Remdesivir)?
इसे पहले कभी बाजार में उतारने की मंजूरी क्यों नहीं मिली?
   ये एक एंटीवायरल दवा है, जिसे अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने बनाया है। इसे एक दशक पहले हेपेटाइटिस C और सांस संबंधी वायरस (RSV) का इलाज करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे कभी बाजार में उतारने की मंजूरी नहीं मिली। लेकिन कोरोना आउटब्रेक के बाद इसकी बिक्री में काफी उछाल आया है। भारत में इस दवा का प्रोडक्शन सिप्ला, जाइडस कैडिला, हेटेरो, माइलैन, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, डॉ रेड्डीज, सन फार्मा जैसी कई कंपनियां कर रही हैं। Gilead Sciences कंपनी ने रेमडेसिविर को इबोला के ड्रग के रूप में विकसित किया गया था, लेकिन अब माना जाता है कि इससे और भी कई तरह के वायरस मर सकते हैं। 
क्या कोरोना में सचमुच कारगर है ये दवा?
   विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन और कोविड के टेक्नीकल हेड डॉ. मारिया वेन केरखोव ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं. उनके अनुसार रेमडेसिविर को लेकर पहले पांच ट्रायल हो चुके हैं, लेकिन रेमडेसिविर से न तो कोरोना मरीज ठीक हुए और न ही मौतें कम हुईं। इसलिए पिछले साल (2020 में) WHO ने कोरोना मरीजों पर रेमडेसिविर का इस्तेमाल नहीं करने की गाइडलाइन जारी की थी।
     महाराष्ट्र की कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. शशांक जोशी ने कहा कि लोगों को इसे (रेमडेसिविर) खरीदने के लिए परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे मृत्युदर पर असर नहीं पड़ता है। गुजरात सरकार ने रेमडेसिविर को लेकर हाईकोर्ट में बताया कि इसको लेकर बहुत तेजी से ये खबर फैल रही है कि इसे कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि ये एक इमरजेंसी दवा है, जिसका इस्तेमाल इमरजेंसी में ही होना चाहिए। सरकार के अनुसार इस दवा में साइक्लोडेक्ट्रीन है जो किडनी और लिवर को खराब कर सकती है.
    वैसे, ये सही है कि कुछ मामलों में रेमडेसिविर से काफी हद तक सुधार देखा गया है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। ये कोरोना का इलाज नहीं है, बल्कि इमरजेंसी स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। बेवजह इस्तेमाल से मरीज को फायदे के बजाय नुकसान भी हो सकता है।
डिमांड बढ़ने के कारण
    देश में एक तरफ कोरोना की रफ्तार बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग भी बढ़ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि रेमडेसिविर को कोरोना का इलाज माना जा रहा है. लेकिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) इस बात को नहीं मानता. डब्ल्यूएचओ ने पहले भी कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर सवाल उठाए थे. अब फिर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि रेमडेसिविर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपयोगी है।
    सरकार में बढ़ती हुई करोना की महामारी को देखते हुए उपरोक्त इंजेक्शन की निर्यात पर पूर्णतया रोक लगा दी है तथा कालाबाजारी को रोकने के लिए भी व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं अब इंजेक्शन सीधे ही कंपनी से अस्पताल में पहुंचेगा इसको खुदरा दरों पर नहीं बेचा जाएगा, ऐसा सरकार का कहना है। अतः कोरोनावायरस से पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है संयम बनाए रखें।

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