अगर आप वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं तो अनावश्यक परेशान होने की आवश्यकता नहीं लेकिन अगर आपको अभी भी एक या दोनों डोज लगवानी बाकी है तो आपको बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
पहले समझते है यह मामला क्या है?
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें एक नर्स किसी व्यक्ति को वैक्सीन लगा रही थी, लेकिन वह हाथ में केवल नीडिल चुभा कर निकाल लेती थी और वैक्सीन भरा इंजेक्शन डस्टबिन में फेंक दे रही थी। टीवी चैनलों ने इस वायरल वीडियो को फर्जी करार दिया और बताया कि यह केवल मनोरंजन करने के लिए बनाया गया लगता है लेकिन इस वीडियो ने लोगों के दिमाग में कुछ शंका जरूर उत्पन्न कर दी। लेकिन हाल ही में इसी तरह की एक घटना उजागर हो गयी।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के जमालपुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में कोरोना वायरस संक्रमण के मरीज मिले थे। जिसके बाद इस गाँव में हर दिन 250 लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया था।
24 मई को उस समय सनसनी फैल गई जब जमालपुर अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (UPHC) में निरीक्षण के दौरान कूड़ेदान में Covid-19 वैक्सीन से भरी 29 सिरिंज पाई गईं। इसके बाद मामले की सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दी गई।
जांच में केंद्र में तैनात सभी लोगों के बयान दर्ज किए गए। स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित अन्य स्टाफ का कहना था कि एएनएम निहा खान वैक्सीन से भरी सिरिंज का नीडिल लगवाने वाले के हाथ में तो चुभाती थी लेकिन वैक्सीन रिलीज किए बिना उसे बाहर निकालकर कूड़ेदान में फेंक देती थी। ऐसा वह जानबूझकर कर रही थी।
दूसरी तरफ बेहद चौकाने वाली और खतरनाक बात यह है कि जमालपुर UPHC की प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. आफ़रीन, एएनएम निहा खान के द्वारा की जा रही इस लापरवाही या भयानक षड्यंत्र से पहले ही भलीभांति अवगत थीं। लेकिन डॉ. आफ़रीन ने आरोपित एएनएम नेहा खान को ऐसा करने से नहीं रोका। उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करने की बात तो दूर उन्होंने विभाग को इसकी सूचना तक नहीं दी।
मामला सामने आने के बाद बुधवार (26 मई) को जाँच के लिए समिति गठित की गई जिसकी रिपोर्ट शुक्रवार (28 मई) को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में रखी गई। रिपोर्ट के बाद निहा खान की सेवा समाप्त करने का आदेश भी दे दिया गया है। डॉक्टर और नर्स दोनों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली गई है।
यह सब तो ठीक है लेकिन ज़रा सोचिए कि कितने दिन से यह काम चल रहा था? वे कौन से दुर्भाग्यशाली व्यक्ति हैं जो वैक्सीन लगवा कर निश्चिंत हो चुके हैं और उन्हें यह भी नहीं मालूम कि वैक्सीन तो उनको लगाई ही नहीं गई थी।
प्रश्न यह उठता है कि
- ऐसा कब से किया जा रहा था?
- ऐसा कितने लोगों के साथ किया जा चुका है?
- ऐसा और न जाने कितनी जगह हो रहा होगा?
- ऐसा करने के पीछे क्या उद्देश्य था?
- एक प्रश्न तो जरूर पैदा होता है कि एक समुदाय विशेष की नर्स और उसी समुदाय विशेष की उसकी उसकी इंचार्ज? आखिर माजरा क्या है?