Latest News Today: Breaking Digital News in Hindi and English News Today: Your Daily Source for Time-Sensitive Updates Real-Time News Today: Hindi and English Updates at Your Fingertips दुनिया की सबसे महंगी सब्जी .. दाम सुनकर दिमाग घूम जाएगा?
Headline News
Loading...

Ads Area

दुनिया की सबसे महंगी सब्जी .. दाम सुनकर दिमाग घूम जाएगा?

   इस दुनिया में कई तरह की सब्जियां हैं कुछ सब्जियां जो हम नॉर्मल लाइफ में रोजाना खाते हैं। लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी हैं, जिसके दाम के बारे में सुनकर आप दंग रह जाएंगे। दुनिया की सबसे महंगी सब्जी जिसका नाम "हॉप शूट्स"। जी हां ये है दुनिया की सबसे महंगी सब्ज़ी, जिसकी क़ीमत पर आप यक़ीन नहीं कर पाएंगे। 
कितनी है इसकी कीमत?
  आपको बता दें की ये सब्जी दुनिया की सबसे महंगी सब्जी हैं। आमतौर पर यह सब्जी 1000 यूरो प्रति किलो बिकती है यानी भारतीय रुपये में कहें तो इसकी कीमत 80 हजार रुपये किलो के आसपास है। इसे खरीद पाना नॉर्मल इंसान के बस में नहीं हैं।
किसमे इसका उपयोग किया जाता है?
    आपको बता दें की इस हॉप का इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर भी किया जाता है। सदियों से इसका इस्तेमाल दांत के दर्द को दूर करने से लेकर टीबी के इलाज तक में होता रहा है। हॉप में ऐंटीबायॉटिक की प्रॉपर्टी पाई जाती है जो इंसान के हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इससे शरीर की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं और इंसान खुद को सेहतमंद महसूस करता हैं।
इसे कब उगाया जाता है? 
    यह सदाबहार सब्जी है जो साल भर उगाई जा सकती है। लेकिन ठंडी के मौसम को इसके लिए ठीक नहीं माना जाता है। मार्च से लेकर जून तक इसकी खेती के लिए आदर्श समय माना जाता है। इस सब्जी के टहनियों का इस्तेमाल प्याज की तरह सलाद में भी किया जा सकता है। इसको आप ग्रिल करके भी खा सकते हैं या फिर इसका आचार भी बना सकते हैं। ये हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं।
    ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी, रस्पबेरी और ब्लूबेरी ख़रीदने के लिए बहुत पैसे खर्च करने पड़ते हैं। हिमालय के क्षेत्रों में होने वाली सब्जी गुच्छी की कीमत भी 30 से 40 हज़ार रुपये किलो होती है लेकिन ये सब्जी फंगी समूह की होती है। हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी सब्ज़ी के बारे में जो इनसे भी दोगुनी से ज़्यादा महंगी है। आप सोचिए क्या है वो सब्ज़ी। वह सब्ज़ी है हॉप शूट्स। हॉप पौधे की नई टहनियां, जो दिखने में शतावरी (एस्पैरेगस) जैसी होती हैं।
   हॉपशूट्स डॉट कॉम के मुताबिक, यूनाइटेम किंगडम के एक टॉप सप्लायर ने हॉप शूट्स को 1000 यानि कि लगभग 76,000 रुपये प्रति किलो में भी बेंचा है।
    हॉपशूट सिर्फ बसंत के मौसम में होती है। बहुत कम समय के लिए इन्हें काटा और खाया जा सकता है क्योंकि ये जंगल में होती है और जल्दी ही इसकी टहनियां मोटी हो जाती हैं जिसके बाद इसे नहीं खाया जा सकता। हॉप के फूल से बिल्कुल अलग हॉप शूट्स खाने में बिल्कुल कड़वी नहीं होती, यहां तक कि कच्ची भी। इसकी लोग सब्ज़ी बनाते हैं और अचार भी डालते हैं।
क्या हैं हॉप शूट्स?
     हॉप शूट, हॉप पौधे के नए बढ़ते सिरे होते हैं, जो एक बारहमासी पौधा है। इसके सिरे ठंड में कोहरे से मर जाते हैं लेकिन जैसे ही मार्च में ज़मीन गर्म होने लगती है ये सिरे फिर से निकलने लगते हैं। उगते समय इनका रंग बैंगनी होता है लेकिन कुछ ही समय बाद ये बदलकर चमकीले हरे हो जाते हैं। कुछ नमी और धूप के मिलते ही ये पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं, यहां तक कि एक दिन में 6 इंच तक। मार्च के कुछ हफ्तों तक हॉप शूट्स से बहुत स्वादिष्ट सब्ज़ी बनती है। स्वास्थ्य के लिए भी है फायदेमंद वुमेन फिटनेस डॉट नेट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इसमें एक ऐसे रसायन की खोज की है जिससे रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है।यही नहीं, इससे कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में भी मदद मिलती है।
हार्मोनली एक्टिव पदार्थ की खोज किसने की?
   किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफेसर स्टुअर्ट मिलिगन की एक शोध टीम की अगुआई में हॉप शूट्स में होपिन नामक एक हार्मोनली एक्टिव पदार्थ की खोज की (तकनीकी रूप से 8-प्रेनिलाइनिंगेनिन कहा जाता है), जो सबसे शक्तिशाली फाइटो ऑस्ट्रोजेंस में से एक है। इन रसायनों में महिला हार्मोन एस्ट्रोजन के समान संरचनाएं होती हैं और इनका प्रभाव भी लगभग वैसा ही होता है।
यह कितनी है लाभदायक?
    हॉप शूट्स अनिद्रा को दूर करने में भी सहायक होता है। जिन लोगों को रात में अच्छी नींद नहीं आती, इंग्लैंड में उन लोगों को डॉक्टर हॉप से भरी हुई तकिया लगाने की सलाह देते आ रहे हैं। होप्स के अर्क को पीने से भी नींद न आने की समस्या दूर होती है। जड़ी बूटी और पौधे की दवाओं से संबंधित मामलों के अध्ययन के लिए जर्मन फेडरल हेल्थ एजेंसी के आयोग ई ने 1978 में स्वतंत्र रूप से समीक्षा की और कहा कि नींद की समस्याओं, बेचैनी और चिंता को दूर करने में हॉप्स फायदेमंद है।
    हॉप्स पाचन में भी सहायक होता है। भूख को बढ़ाने, पाचन को सही करने व शराब को छुड़ाने के लिए पारंपरिक चीनी चिकित्सा और मूल अमेरिकी चिकित्सा दोनों में सदियों से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन के चिकित्सक टीबी यानि क्षय रोग का इलाज़ करने के लिए भी एंटीबायोटिक के रूप में हॉप्स का इस्तेमाल करते हैं।
बिहार में की जा रही है इसकी खेती? 
    बिहार के औरंगाबाद के एक किसान ने इस सब्जी की खेती शुरू की है, जर्मनी में इस सब्जी की खेती की शुरुआत हुई थी. एक IAS ऑफिसर ने एक ट्वीट करके सबसे महंगी और अनेखी सब्जी की एक फोटो शेयर की है. इसी के साथ भारत में हॉप शूट्स की खेती करने वाले पहले किसान अमरेश सिंह की फोटो भी शेयर की है. पोस्ट करने के बाद से ही ये तेजी से ट्विटर पर वायरल हो रही है. IAS ऑफिसर सुप्रिया साहू के मुताबिक, भारतीय किसानों के लिए यह गेम चेंजर साबित हो सकता है. IAS ऑफिसर का ये ट्वीट सोशल मीडिया पर अब वायरल हो गया है और लोगों ने इस पर अपना-अपना रिएक्शन देना भी शुरू कर दिया है.
    बिहार के औरंगाबाद के करमडीह गांव के किसान अमरेश सिंह ने हॉप शूट्स की खेती शुरू कि है. उन्होंने काशी स्थित भारतीय सब्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एग्रीकल्चर साइंटिस्ट की देखरेख में 5 गुंथों की भूमि पर प्रायोगिक आधार पर इसकी खेती शुरू की है.
   हॉप शूट्स का इस्तेमाल एंटीबायोटिक्स बनाने के लिए किया जाता है. होप शूट से बनी दवा टीबी के इलाज में फायदेमंद है. इस सब्जी के फूलों का इस्तेमाल बीयर बनाने के लिए किया जाता है. इस सब्जी के फूलों को हॉप Cone कहा जाता है. सब्जी के डंठल भी खाए जाते हैं.
इन देश के लोगों की पहली पसंद है Hop Shoots
    इस सब्जी की यूरोप के देशों में भारी डिमांड है. यूरोप के कई देशों में इस सब्जी की खेती भी होती है. ब्रिटेन, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, जर्मनी आदी यूरोपिय देशों के लोगों की यह पसंदीदा सब्जी है. इस सब्जी में कई तरह के एंटीबायॉटिक पाये जाते हैं. एंटीबायॉटिक की मौजूदगी से इसका इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है.
टीबी के मरीजों के लिए भी है अधिक फायदेमंद
   इस सब्जी की विशेषताओं की भी लंबी लिस्ट है. इस सब्जी का इस्तेमाल दांत के दर्द और टीबी जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी किया जाता है. सब्जी बनाने के अलावा लोग इसे कच्चा भी खाते हैं. इसकी टहनियां सॉफ्ट होती हैं, जिनका इस्तेमाल सलाद के तौर पर भी करते हैं. इसका अचार भी बनता है.

Post a Comment

0 Comments