मुरादाबाद/उत्तर प्रदेश।।। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लागू होने के बाद से बेहद जरूरी काम होने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में अगर बैठे बैठाए पेड़ से रुपयों की बरसात होने लगे तो फिर कहना ही क्या? ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में रामपुर के शाहाबाद में हुआ। पेड़ से अचानक ही पांच सौ, दो सौ, सौ और पचास रुपए के नोट गिरने लगे। नोट की बरसात में जैसे हर कोई नहाने को आतुर था, लेकिन जब उन्होंने रुपया बटोर लिया तो पता चला कि माजरा ही कुछ और है। फिर क्या था बेहद मायूस होकर उन सभी को हकदार को वह रुपए लौटाने पड़े।
जानकारी अनुसार उत्तर प्रदेश का रामपुर जिला रजा लाइब्ररी और रामपुर के नवाबी खानदान के साथ ही आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर बेहद चर्चा में रहता है, लेकिन यहां का शाहाबाद कस्बा रुपयों की बरसात के कारण सुर्खियों में आ गया। यहां पर एक पेड़ से शनिवार की शाम को रुपयों की बरसात होने लगी। जैसे लोगों को रामपुर में रुपयों का पेड़ मिल गया। पेड़ से अचानक बरसते देख नीचे खड़े लोगों ने उन्हेंं बटोरना शुरू कर दिया और फिर मौका पा कर भागने लगे। इसके कुछ देर कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें यह सभी लुटे हुए रुपयों को वापस उसके असली हकदार को लौटाने पड़े।
कैसे हुई पेड़ से पैसों की बारिश
रामपुर के शाहाबाद में डायल-112 में तैनात एक पुलिस कर्मी का पर्स लेकर बंदर भाग गया। इसके बाद वह पेड़ पर चढ़ गया। बंदर ने पर्स खोला ओर उसमें रखे नोट बरसाने लगा। इसके बाद तो वहां मौजूद लोगों ने पेड़ से गिरते नोट को बटोर लिया। बाद में सभी लोगों ने पुलिस कर्मी के सभी नोट उन्हेंं वापस भी कर दिए।
शाहबाद एक ग्रामीण इलाका है। यहां पर बंदरों की तादाद भी बहुत अधिक है। कोतवाली में पीआरवी डायल 112 गाड़ी पर तैनात पुलिस कर्मी कुलदीप सिंह का पर्स कोतवाली गेट पर खड़ी गाड़ी में रखा हुआ था। गाड़ी खड़ी कर कुलदीप सिंह कोतवाली मेस में भोजन करने गए। गाड़ी का शीशा खुला रह गया था। इसी दौरान कहीं से बंदर आ गया और गाड़ी से पर्स लेकर सामने वाले पेड़ पर चढ़ गया। बंदर ने जब उस पर्स को खोलने का प्रयास किया तो उसमें रखे नोट नीचे गिरने लगे। पेड़ से नोट गिरते देख नीचे खड़े लोगों ने उन्हेंं बटोरना शुरू कर दिया। इसी दौरान पर्स के कुछ कागज भी गिरे जिसमे कुलदीप सिंह का आईकार्ड भी नीचे गिरा तो लोगों को मामले की जानकारी हुई। इन कागजों से लोगों को पता चला कि इस पर्स का असली मालिक कौन है और सभी ने पैसे और कागज इकट्ठा कर पुलिस को खुद ही ईमानदारी दिखाते हुए सौंप दिए।