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कोरोना के डर से अपनों ने छोड़ा... तो गैरों ने दिया कन्धा

   उदयपुर/बांसवाड़ा/राजस्थान।। कोरोना के इस जीवन हरण काल में जहा परिवार के लोग मृत व्यक्ति से संक्रमण के भय से मुँह मौड़ रहे है वही इस संकट काल में कुछ लोग जीवन बचाने से लेकर मृत्यु में होने वाले अंतिम क्रियाकलापों को करवाने जैसी समाज सेवा में भी पीछे नहीं है। आपको बता दे की देश भर से कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगो की खबरे आजकल आम बनी हुई लेकिन कोरोना संक्रमण से असमय होने वाली इन मौतों में परिवारजनों व समाज के सदस्यों की मृत व्यक्ति से बेरुखी और भी कुंठित करने वाली है। जहा कोरोना से मृत व्यक्ति से संक्रमित होना जरूर मृत व्यक्ति से दुरी बनाने का कारण हो सकता है, लेकिन उसके मृत शरीर के साथ इतनी अनदेखी भी लाज़मी नहीं है, कि उसे बिना क्रियाकर्म के ही उसे लावारिस हालत में छोड़ दिया जाए। 
      इस महामारी के विपरीत हालातो में भी कुछ संगठन और निःस्वार्थ भाव से काम करने वाले कुछ लोग है जो अनजान और लावारिस कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्तियों की भी अंतिम क्रिया करवाने का जिम्मा संभाले हुए है। जी हां हम बात कर रहे है राजस्थान के उदयपुर की जहा बैकुंठ धाम सेवा संस्थान और रक्तदाता युवा वाहिनी के सदस्य आजकल कुछ ऐसी ही सेवाए देने में लगे हुए है, जिसमे संस्थान के सदस्य लावारिस लाशों के दाहसंस्कार से लेकर जरुरतमंदो को रक्तदान तक में पीछे नहीं है। यहाँ तक की इस संस्थान के सदस्यों द्वारा शहर में घूमते हुए कई लावारिस व्यक्तियों का देखभाल व इलाज़ का कार्य भी बहुखूबी तरीके से किया जा रहा है।  
     जानकारी अनुसार हाल ही में उदयपुर के सूरजपोल थाना क्षेत्र के उदियापोल बस स्टेण्ड पर एक लावारिस शव के परिजन नहीं मिलने पर उसका अंतिम संस्कार इसी बैकुंठ धाम सेवा संस्थान के सदस्यों द्वारा ही करवाया गया। बताया जा रहा है की वह शव तक़रीबन दो से तीन दिन पुराना होने की वजह से सड़ चूका था। वही पुलिस को इसकी माकूल सुचना मिलने पर शव को मोर्चरी में रखवाकर हेंड कॉन्स्टेबल तेज़ सिंह द्वारा मृतक का पोस्टमार्टम करवाकर शव को बैकुंठ धाम सेवा संस्थान के कार्यकर्ताओं को सौपा गया।
    यहाँ धार्मिक सद्भावना परिचय देते हुए इस शव को पहले तो फ़ारुख़ खान द्वारा उनकी निजी एम्बुलेंस से निःशुल्क अशोकनगर नगर मोक्षधाम पर  छोड़ा गया, जिसका बाद में पुरे हिन्दू विधि विधान से निःशुल्क दाहसंस्कार इसी बैकुंठ धाम सेवा संस्थान के सदस्यों द्वारा किया गया। 
   यही नहीं हाल ही में शहर के अम्बामाता थाना क्षेत्र में भी 60 वर्षीय अज्ञात वृद्ध की शिनाख्त नहीं होने पर भी इसी संस्थान के सदस्यों द्वारा हिन्दू रीति रिवाज़ से उस मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया था। आपको बता दे की उदयपुर का बैकुंठ धाम सेवा संस्थान मांगीलाल सुथार और उनके सहयोगी सदस्यों जिनमे हीरालाल साहू, गोपाल वैष्णव, जीतेन्द्र कुमावत, मुकेश, नंदराज भारती द्वारा जनहित में अपनी सेवाएं दे रहा है।
    वही ऐसा ही कुछ नज़ारा राजस्थान के छोटी काशी कहे जाने वाले बांसवाड़ा में भी देखने को मिला है, जैसा की अमूमन हम सभी देख ओर सुन रहे है कि कोराना संक्रमण से मौतो के साथ ही संक्रमण के चलते मृत व्यक्ति के शव के साथ अपनों की बेरुखी का सिलसिला भी हमारे देश मे निरन्तर जारी है। 
  जानकारी अनुसार बांसवाड़ा जिले में भी कोविड मरीज का मृत शरीर एम्बुलेंस मे दाह संस्कार हेतु तो मोक्षधाम लाया जा रहा है, लेकिन उस मृतात्मा के इस आखरी सफर मे भी परिवार का कोई सदस्य उस मृत शरीर को दाहसंस्कार हेतु स्पर्श करने को आगे नहीं आ रहा है। 
     लेकिन इन हृदयविदारक परिस्थितियों के बीच कुछ लोग है ऐसे भी है जो देवदूत की तरह कार्य कर जनहित में अपनी सेवाएं ऐसे विपरीत परिस्थितियों में भी निःशुल्क दे रहे है। कुछ ऐसे ही यूवा सदस्य भी जिले के कागदीपिकप वाले शमशान घाट में अपनी निरंतर सेवाए दे रहे है। जानकारी अनुसार ये सदस्य गौ रक्षा दल के है ओर पिछले कई दिनो से इस कोरोना महामारी मे मृत व्यक्तियो के दाह संस्कार को विधिवत् तरीके से नि:स्वार्थ भाव से पूर्ण कर रहे है। 
    गौ रक्षा दल के यूवाओ की यह टोली अनुराग नाम के एक मानवतावादी यूवा के नेतृत्व मे अपनी सेवाए दे रही है। अनुराग ओर उनके साथियो का यह योगदान जनहित मे ऐसे समय मे दिया जा रहा है जब कोरोना के भय से उनके अपनो ने भी मृत व्यक्ति का साथ अन्तिम समय मे छोड दिया है। 
   आपको बता दे की अनुराग स्वयं एक छोटे व्यवसायी है जिनके स्वयं के उपर भी अपने छोटे बच्चो को पालने की जिम्मेदारी है, लेकिन इस महामारी मे भी वह अपनी टीम के साथ बांसवाड़ा स्थित मोक्षधाम पर अपनी सेवाए निरन्तर दे रहे है। 

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