आपके दिमाग में भी कभी ना कभी यह प्रश्न आया होगा की कब्रिस्तान जब कब्रो से भर जाता है, उसके बाद नया कब्रिस्तान बनाया जाता है या पुरानी कब्रो को हटा कर फिर वही पर मृत व्यक्ति को दफनाया जाता है? एक जानकारी के तहत अभी तक दुनिया में 101 अरब लोग मर चुके हैं, लगभग 7 अरब लोग इस पृथ्वी पर जीवित हैं, ये भी एक दिन चले जाएंगे।
धरती पर लाशों का बोझ इस तरह बढ़ता जा रहा है कि आज दिल्ली, लाहौर, लंदन, न्यूयॉर्क जैसे शहरों में मुर्दों को दफनाने के लिए जगह नहीं है। इस समस्या से निजात पाने के लिए कई देश तमाम तरीके अपना रहे हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
- भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में गल चुके मुर्दा शरीरों की जगह नए मृतकों को दफनाया जाता है। कभी कभी एक कब्र में एक से ज्यादा मुर्दों को भी दफना दिया जाता है।
- ब्राजील, इजरायल, मुंबई में बहुमंजिला कब्रिस्तान का निर्माण किया गया है।
- हांगकांग में मुर्दों को रखने के लिए लाकर किराए पर दिया जाता है, लेकिन यह बहुत मंहगा पड़ता है।
- अमरीका और ब्राजील में ऊंचे-ऊंचे टावर बनाए गए हैं। ब्राजील में एक कब्रिस्तान टावर 32 मंजिला का है, यहां हर फ्लोर पर 150 लाशों को रखा जाता है।
- कई देशों में लाशों को केमिकल लगा कर दफनाया जाता है जिससे वे जल्द गल जाएं।
- यूरोप के कुछ देश 3 साल के लिए किराए पर कब्र देते हैं। बाद में इनके परिजन बची हुई हड्डियों के गहने बनवाकर यादगार के तौर पर रखते हैं।
मुर्दों को दफनाने वाली समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना में मौतों में जिस तरह से इज़ाफ़ा हुआ है उसको देखते हुए हमारे देश में तो कुछ ज्यादा ही समस्या होने वाली है। इस पर अन्य देशों से सीख लेकर काम करना चाहिए।